विद्यार्थियों को परीक्षा के दौरान होने वाले भय / तनाव से बचाने हेतु संभाग स्तरीय संवेदीकरण कार्यक्रम का हुआ आयेाजन विद्यार्थी परिणाम की चिंता किए बिना आगे बढ़े - बेनीवाल असफलता, सफलता की सीढ़ी - प्रो. सारंगदेवोत

 विद्यार्थियों को परीक्षा के दौरान होने वाले भय / तनाव से बचाने हेतु

 संभाग स्तरीय संवेदीकरण कार्यक्रम का हुआ आयेाजन 


विद्यार्थी परिणाम की चिंता किए बिना आगे बढ़े - बेनीवाल


असफलता, सफलता की सीढ़ी - प्रो. सारंगदेवोत


उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल

उदयपुर (जनतंत्र की आवाज) 24 जनवरी।  राजस्थान राज्य बाल सरंक्षण आयोग, जयपुर की ओर से परीक्षा पर्व 2024 के तहत विद्यार्थियो को परीक्षा के दौरान भय / तनाव से बचाने हेतु संभाग स्तरीय संवेदीकरण कार्यक्रम के तहत उदयपुर स्कूल ऑफ सोशल वर्क के संयुक्त तत्वाधान में विद्यार्थियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन विद्यापीठ के आईटी सभागार में आयोजित किया गया। 

अध्यक्षता करते हुए आयोग की अध्यक्षा संगीता बैनीवाल ने कहा कि परीक्षा में बालकों को तनाव तनावमुक्त रहते हुए संपूर्ण उत्साह एवं धैर्य के साथ परीक्षा देनी चाहिए। परीक्षा परीणाम की चिंता से मुक्त रहते हुए प्रसन्न मन से परीक्षा देने हेतु, अपने निजी जीवन के अनुभवोें को छात्रों के सम्मुख रखा। प्रथम बार आयोग ने संभागीय स्तर पर कार्यक्रम आयोजन करते हुए कहा कि वे आगे भी आयोग निरंतर राज्य स्तर पर इस प्रकार के आयोजन  करता रहेगा।  आगामी दिनों में राज्य स्तर पर भी इसका आयोजन शीघ्र किया जाना है  

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एस.एस.सारंगदेवोत ने कहा कि असफलता , सफलता की सीढ़ी है इसलिए विद्यार्थियों का तनाव मुक्त होकर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। अभिभावकों द्वारा वर्तमान में बच्चों पर जो दबाव डाला जा रहा है, जो सभ्य समाज के लिए बहुत ही विचारणीय विषय है। इसमें शिक्षकों को पहल करते हुए बच्चों को इस समस्या से बाहर निकालने में अपनी भूमिका निभानी होगी। अभिभावक भी बच्चों की भावनाओं को समझते हुए बच्चों के निर्णय के साथ खड़े रहे तो काफी हद तक इस समस्या से मुक्ति मिल सकती है। 

आयोग के सचिव भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी निर्मला मीना ने कार्यक्रम के उद्धेश्य एवं महत्त्वता पर विस्तृत प्रकाश डाला। आयोग उपसचिव राजस्थान प्रशासनिक सेवा महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि बच्चें राष्ट्र निर्माता है, उनका सर्वागीन विकास करना समाज के हर नागरिक का दायित्व है। दबवमुक्त वातावरण में छात्र - छात्राएं परीक्षाओं में सम्मिलित हो इसके लिए आयोग इस तरह के कार्यक्रम निरंतर आयोजित करता रहेगा। कार्यक्रम के तकनीकी सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. शैलेंद्र पंड्या पूर्व सदस्य राजस्थान बाल सरंक्षण आयोग ने कहा की जनजातीय बाहुल क्षेत्र में पढ़ने वाले बच्चे पहले से ही कई समस्याओं से ग्रस्त है। ऐसी स्तिथि परीक्षा का दबाव उनके विकास के लिए मुख्य अवरोधक है, जिसके कारण वे विद्यालय छोड़ देते है तथा बाल श्रम जैसी गतिविधियों में संलग्न हो जाते है। कार्यक्रम के वक्ता के रूप में प्रो. गायत्री तिवारी ने कहा कि मानसिक तनाव अन्य तनावों से गंभीर होता है। मानसिक तनाव शारीरिक एवं मानसिक दोनों विकास को अवरूद्ध करता है। अधिष्ठाता डॉ. अवनीश नागर ने कहा कि परीक्षा का परिणाम जीवन का बहुत छोटा सा भाग होता है। इसलिए इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। आयोग के सदस्य संगीता गर्ग, डॉ. धनपत गुर्जर, राजीव कुमार मेघवाल, ध्रूव कुमार कविया ने अपने विचार व्यक्त किए। 

कार्यक्रम का संचालन डॉ अनुकृति राव एवं धन्यवाद कार्यक्रम संयोजक डॉ. लाल राम जाट ने किया। 

कार्यक्रम में उदयपुर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष यशोदा दानिया, सदस्य - डॉ. संगीता राव, पूर्व सदस्य शिल्पा मेहता, डॉ. नवल सिंह राजपूत,  निजी सचिव - कृष्ण कान्त कुमावत, डॉ. प्रिंस पायस सहित संयुक्त निदेशक शिक्षा अधिकारी के साथ संभाग के सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों सहित शहर के 30 से अधिक विद्यालयों के प्राचार्य व 400 विद्यार्थियों ने भाग लिया।

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