37 साल के युवक ने महीनों वेंटिलेटर पर रहने के बाद दुर्लभ लकवा बीमारी को मात देकर पारस हेल्थ, उदयपुर में नई जिंदगी पाई

37 साल के युवक ने महीनों वेंटिलेटर पर रहने के बाद दुर्लभ लकवा बीमारी को मात देकर पारस हेल्थ, उदयपुर में नई जिंदगी पाई उदयपुर जनतंत्र की आवाज विवेक अग्रवाल। 37 साल के अभिनव बाजपेयी ने उदयपुर के पारस हेल्थ में महीनों इलाज के बाद एक बहुत ही दुर्लभ बीमारी, जिलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से पूरी तरह ठीक होकर दिखाया कि हिम्मत और अच्छी दवा से सब कुछ ठीक हो सकता है। अभिनव की दिक्कत सितंबर 2024 में शुरू हुई, जब अचानक कमजोरी ने पूरी तरह लकवे का रूप ले लिया। उन्हें गिलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) की एक दुर्लभ और कम होने वाली बीमारी AMAN (एक्यूट मोटर एक्सोनल न्यूरोपैथी) हो गई। इसके कारण उनके चारों हाथ-पैर पूरी तरह सुन्न हो गए और ये खुद से सांस भी नहीं ले पा रहे थे। अहमदाबाद के एक अस्पताल में भर्ती होकर वह छह महीने तक वेंटिलेटर पर रहे, लेकिन तब तक ज्यादा सुधार नजर नहीं आया। जनवरी 2025 में नई उम्मीद के साथ अभिनव को उदयपुर के पारस हेल्थ में लाया गया। जब वह आए, तब ये पूरी तरह वेंटिलेटर पर निर्भर थे और बिस्तर पर पड़े थे, उन्हें चलने-फिरने में बहुत मुश्किल हो रही थी। डॉ. मनिष कुलश्रेठा की देखरेख में उनका इलाज...