राजाराम स्वर्णकार की दो पुस्तकों पर चर्चा "साहित्यकार का कार्य समाज में समरसता ,समन्वय एवं संवेदना स्थापित करना है"

राजाराम स्वर्णकार की दो पुस्तकों पर चर्चा "साहित्यकार का कार्य समाज में समरसता ,समन्वय एवं संवेदना स्थापित करना है" बीकानेर 4 मई। अखिल भारतीय साहित्य परिषद की बीकानेर इकाई द्वारा पाठक पर्व मासिक श्रृंखला के अंतर्गत कवि - कथाकार राजाराम स्वर्णकार की दो पुस्तकों पर चर्चा स्थानीय नागरी भंडार स्थित महारानी सुदर्शना कला दीर्घा में आयोजित की गई। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिक्षाविद-आलोचक साहित्यकार डॉ. उमाकांत गुप्त एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. विमला डुकवाल थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर अखिलानन्द पाठक ने की। इस आयोजन में राजाराम स्वर्णकार के कविता संग्रह तीसरी आंख का सच की समीक्षा हास्य व्यंग्य कवि बाबूलाल छंगाणी बमचकरी और कहानी संग्रह बिंध गया सो मोती की समीक्षा शिक्षाविद-साहित्यकार डॉक्टर मूलचंद बोहरा ने की। मंचीय उद्बोधन देते हुए डॉ. विमला डुकवाल ने कहा साहित्य समाज के लिए आवश्यक होता है जो पीढी को गढ सकता है। मुख्य अतिथि डॉ. उमाकांत गुप्त ने कहा कि साहित्य समाज को शिक्षित और परिष्कृत करने का तत्व है। किसी शर्तों में बांधकर साहित्य सृजन संभव नहीं होता, अगर ऐसा होता ह...