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पत्रकार, शिक्षक, एवं साधु समाज के वास्तविक शिल्पकार;

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# पत्रकार, शिक्षक, एवं साधु समाज के वास्तविक शिल्पकार;  # अच्छाई करने से अधिक अच्छा है बुराई को त्यागना;  # कृष्ण अतीत ही नहीं, भविष्य भी है;  # धर्म, आचरण नहीं आवरण होना चाहिए;  # जियो और जीने का महामंत्र है, भागवत कथा में ;  # भारत की संस्कृति, संस्कारों एवं उत्सवों की है;  # मनोरंजन एवं उत्सव का फर्क, साधु ही समझ सकता है;  # सनातन धर्म में ऋषि शब्द से आधुनिक जगत में रिसर्च बना; जयपुर श्रीमद् भागवत कथा के ज्ञान यज्ञ में पूज्य व्यास जी मदन मोहन जी महाराज ने श्रीमद् भागवत गीता के विभिन्न श्लोक के माध्यम से बताया कि, पत्रकार, शिक्षक एवं साधु ही समाज के वास्तविक शिल्पकार होते हैं । पत्रकार अपनी लेखनी के माध्यम से जो लिखना है उसको हजारों लाखों लोग पढ़कर अपने जीवन में उसी तरह का आचार व्यवहार करते हैं, इसी तरीके से एक शिक्षक बच्चों में अपनी शिक्षा के माध्यम से जो संस्कार के बीज डालता है वही बीज बड़ा होकर समाज को फल प्रदान करता है अगर शिक्षक ने मानव धर्म और दूसरों की सेवा भाव के बीज डाले हैं तो व्यक्ति बड़ा होकर समाज और मनुष्य के साथ-साथ विश्व कल्याण के...