रिटायरमेंट के बाद सेवानिवृत्त सचिव(IAS) राजीव यदुवंशी का आत्मबोध*(मोटिवेशनल)

*रिटायरमेंट के बाद सेवानिवृत्त सचिव(IAS) राजीव यदुवंशी का आत्मबोध*(मोटिवेशनल) -- कैलाश चंद्र कौशिक जयपुर! शासन सेवा के रुतवे का फतवा सदा कायम नहीं रहता है!भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहते समाज से जुड़े रहे! अपने अनुभव साझा किये हैं वरना मुझे ज्ञान कंहा...?? रिटायरमेंट के बाद यह मेरी पहली दिवाली थी। मेरे मन में उन सभी वर्षों की यादें ताज़ा हो गईं, जो मैंने सेवा में बिताए थे, खास तौर पर वरिष्ठ पदों पर रहते हुए। दिवाली से एक हफ़्ते पहले, लोग तरह-तरह के उपहार लेकर आना शुरू कर देते थे। उपहार इतने ज़्यादा होते थे कि जिस कमरे में हम सारा सामान रखते थे, वह किसी उपहार की दुकान जैसा लगता था। कुछ चीज़ों को लोग घृणा भरी नज़रों से देखते थे और उन्हें हमारे अनजान रिश्तेदारों को देने के लिए अलग रख देते थे। सूखे मेवे इतने ज़्यादा होते थे कि अपने रिश्तेदारों और दोस्तों में बाँटने के बाद भी बहुत सारे बच जाते थे। लेकिन इसबार, चीज़ें बिल्कुल अलग थीं। दोपहर के 2 बज चुके थे, लेकिन कोई भी हमें दिवाली की शुभकामना देने नहीं आया था। मैं अचानक भाग्य के इस उलटफेर से बहुत ही उदास महसूस कर रहा था। खुद को विचलित क...