अभिनेत्री और मॉडल श्रद्धा सिंह का टीवी शो 'श्याम धुन लागी' दर्शकों को बेहद पसंद आ रहा है।*

 *अभिनेत्री और मॉडल श्रद्धा सिंह का टीवी शो 'श्याम धुन लागी' दर्शकों को बेहद पसंद आ रहा है।*






संवाददाता मुंबई स्नेहा उत्तम मडावी 

 यह गुजराती शो कलर्स गुजराती चैनल पर दिखाया जा रहा है। श्रद्धा सिंह अहमदाबाद की रहने वाली है और अभी मायानगरी मुम्बई में रहकर अभिनय का काम कर रही है। श्रद्धा ने हिंदी और गुजराती भाषा में टीवी शो, शॉर्ट फिल्म, म्यूजिक वीडियो, वेबसीरिज और फिल्मों में अभिनय किया है और लगातार काम कर रही हैं। इन्होंने कई गुजराती फिल्म जैसे हू छू ने, हाथताल,अम्मा आदि में अभिनय किया है। शार्ट फिल्म माथा नो मलाजो, सिंगल मधर, रिसामने बेथेली बहु, हिंदी फिल्म मुम्बई टू आगरा हिंदी टीवी सीरियल किस्मत की लकीरों से,राजमहल, पलकों की छांव में,सुहाग में भी अभिनय किया है। आगामी प्रोजेक्ट में इनकी एक हिंदी फिल्म और वेबसीरिज आ रही है।श्रद्धा अपना आदर्श अपने पिता को मानती है। वह अभिनेता अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, अजय देवगन और मनोज वाजपेयी को बेहद पसंद करती हैं और चाहती हैं कि वह अपने अभिनय कौशल को निखार कर इस काबिल बने कि अपनी पसंदीदा अभिनेताओं के साथ काम करने का मौका प्राप्त कर सके। इसके लिए वह अच्छे प्रोजेक्ट्स में काम कर रही है। उन्होंने रंगमंच में अभिनय किया है। वह कहती है कि वह जितना लगन से काम करेंगी अनुभव के साथ उनका एक्टिंग स्किल और बेहतर होगा। वह हर प्रकार के किरदार बखुबी निभा लेती हैं लेकिन उन्हें दमदार और भावुक किरदार करना ज्यादा पसंद है। श्रद्धा सिंह, संजय लीला भंसाली और मधुर भंडारकर जैसे निर्दशकों के साथ काम करने को इच्छुक हैं। श्रद्धा सिंह ने मिसेज इंडिया कॉन्टेस्ट में भाग लिया था। उन्होंने मॉडलिंग और रैंप शो किये हैं। कई विज्ञापन फिल्में की हैं और ब्राइडल ज्वैलरी शूट भी किया है। श्रद्धा सिंह को ट्रेवलिंग, डांसिंग, रीडिंग और कुकिंग का शौक है। श्रद्धा कहती हैं कि उनका सौभाग्य रहा कि जब उन्हें इंडस्ट्री में काम करने का मौका मिला तो परिवार का पूरा सहयोग मिला। श्रद्धा का मानना है कि एक औरत अपने वास्तविक जीवनकाल में लगभग हर किरदार निभाती है। हर नारी के अंदर कहीं ना कहीं एक कलाकार मौजूद होता है बस उसे निखारने की जरूरत है। मैं चाहती थी कि मेरे अंदर छुपी कला को लोग जाने इसलिए मैं अभिनय की दुनिया में आ गयी। हर महिला को सपने देखने का और उसे पूरा करने का हक है। वह कहीं ना कहीं पारिवारिक जिम्मेदारियों में बंधी रह जाती हैं। उन्हें अपनी जिम्मेदारियों के साथ अपने सपनों को पूरा करने के लिए घर की चार दिवारी से बाहर निकलना जरूरी है। ऐसा ना हो कि ताउम्र इस पछतावे में निकल जाए कि काश मुझे एक मौका मिला होता और मैं कुछ कर पाती। यह मौका हमें खुद के लिए ढूंढना है। आप ऐसा काम करें कि आप पर सबको गर्व हो और आपकी कामयाबी आपको संतुष्टि और दूसरों के लिए प्रेरणा बनेगी।

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