पिङ्गल नामक नव संवत्सर के वासन्तिक नवरात्र स्थापना प्रातः 7.40 से पूर्व एवं सवा ग्यारह से सवा बारह बजे तक श्रेयस्कर।

. *पिङ्गल नामक नव संवत्सर के वासन्तिक नवरात्र स्थापना प्रातः 7.40 से पूर्व एवं सवा ग्यारह से सवा बारह बजे तक श्रेयस्कर। * विक्रमी संवत् 2080, शालिवाहन शक संवत् 1945, नव चान्द्र संवत्सर के साथ वासन्तिक नवरात्र का शुभारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 22 मार्च 2023 बुधवार को हो रहा है। नव संवत्सर आरम्भ में उदयव्यापिनी पूर्वविद्धा प्रतिपदा ही ग्राह्य है। दो दिन उदयव्यापिनी हो तो भी पहली को ही ग्रहण करना चाहिए । वृद्धवशिष्ठ के वाक्य देखिए - *वत्सरादौ वसंतादौ बलिराज्ये तथैव च।* *पूर्वविद्धैव कर्त्तव्या प्रतिपत् सर्वदा बुधै:।।* यह विशेष वचन भी प्राप्त होता है - *चैत्र शुक्ल प्रतिपद्देवीपूजादौ परयुतैव ग्राह्या।* नवरात्र में देवीपूजार्थ घट स्थापना के लिए धर्म ग्रन्थों की दृष्टि से प्रातः काल का विशेष महत्व है। दिन के तीसरे भाग - आद्य दस घटियां को प्रातःकाल कहा गया है। अर्थात् अपने अपने स्थान के सूर्योदय से चार घंटे तक नवरात्र में देवी के स्थापन विसर्जनादि समस्...