अजित फाउण्डेशन द्वारा आयोजित

, बीकानेर। अजित फाउण्डेशन द्वारा आयोजित ‘‘वर्तमान समय में बाल साहित्य दशा एवं दिशा’’ विषय पर व्याख्यान के अन्तर्गत अपनी बात रखते हुए वरिष्ठ बाल साहित्यकार आशा शर्मा ने कहा कि बाल साहित्य लिखा जो बहुत जा रहा है लेकिन पढ़ने की प्रवृति कम होती जा रही है। जब हम बाल साहित्य की किसी भी विधा में लिखते है तो हमें बच्चों को केन्द्रित करते हुए उसकी गुणवत्ता एवं नयेपन पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। वर्तमान समय में बच्चे पाठ्यक्रम की कविताओं एवं कहानियां तक ही सीमित रह गये है इसके इतर वह कुछ भी नहीं जानते है। बच्चों को पुस्तकों से जोड़ने हेतु उनसे सामाजिक मंचों पर चर्चाएं आयोजित करवाने की महत्ती आवष्यकता है। आशा शर्मा ने कहा कि हमें दादी-नानी की कहानियां आज भी याद है लेकिन वर्तमान में बच्चों को मोबाइल के अलावा अन्य कोई भी रूचिकर साहित्य के प्रति लगाव नहीं रहा है। विषय प्रवर्तन करते हुए व्यंग्यकार डॉ. अजय जोशी ने कहा कि बाल साहित्य के सामने कई चुनौतियां है, जैसे - क्या जो बच्चे पढ़ना चाह रहे है इस प्रकार का साहित्य लिखा जा रहा है ? जिस भाषा में वह पढ़ना चाहते है उस भाषा में बाल साहित्य रचा जा रहा है ? इन ...