कीर्तिशेष साहित्यकार भवानीशंकर व्यास 'विनोद ' को जोधपुर एवं बीकानेर के साहित्यकारों की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की गई
कीर्तिशेष साहित्यकार भवानीशंकर व्यास 'विनोद ' को जोधपुर एवं बीकानेर के साहित्यकारों की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की गई
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जोधपुर । राजस्थानी, हिन्दी और अंग्रेजी के ख्यातनाम साहित्यकार एवं शिविरा के संपादक कीर्तिशेष भवानीशंकर व्यास विनोद
को बीकानेर एवं जोधपुर के साहित्यकारों ने बुधवार को उनके जोधपुर स्थित आवास पर पहुंच कर श्रद्धांजली अर्पित की।
इस अवसर पर साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली से पुरस्कृत राजस्थानी और हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार द्वय बुलाकी शर्मा एवं मीठेश निर्मोही, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व सचिव पृथ्वीराज रतनू, जयनारायण विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग के अध्यक्ष एवं साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत कवि डाॅ.गजेसिंह राजपुरोहित तथा बीकानेर के वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार, अशफ़ाक़ कादरी, सम्पादक - व्यंग्यकार डॉ.अजय जोशी, साहित्यकार गोविंद जोशी एवं प्रकाशदान चारण ने कीर्तिशेष व्यास जी की धर्मपत्नी एवं राजस्थानी साहित्यकार श्रीमती आनंद कौर व्यास से मिलकर शोक संवेदनाएं प्रकट की ।
इस अवसर पर साहित्यकारों ने कहा कि कीर्तिशेष भवानी शंकर व्यास 'विनोद' के निधन से साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। व्यास जी ने अपने जीवन में साहित्य सृजन के साथ साहित्यकारों की तीन पीढ़ियों को संस्कारित करने में महती भूमिका निभाई। उन्होंने लगभग एक सौ पैंतीस पुस्तकों की भूमिकाएं लिखीं । शिक्षा विभाग से प्रकाशित शिविरा पत्रिका का वर्षों तक संपादन किया। उनके द्वारा शिविरा में लिखे गये संपादकीय आज भी सराहे जाते हैं । इस अवसर उनकी सुपुत्री एवं साहित्यकार डाॅ.सुमन बिस्सा एवं परिवार के अनेक सदस्य मौजूद रहे। इस अवसर पर डाॅ. सुमन बिस्सा ने बताया कि उनके पिता श्री अपनी आत्मकथा लिख गये हैं, जिसको शीघ्र ही प्रकाशित कराया जाएगा।

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