नीमकाथाना के एकमात्र बाबा रामदेव मंदिर मैं हुआ भव्य ज्योत और भंडारा
*नीमकाथाना के एकमात्र बाबा रामदेव मंदिर मैं हुआ भव्य ज्योत और भंडारा
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नीमकाथाना के एकमात्र मंदिर बाबा रामदेव जी का जो की अति प्राचीन मंदिर है पहले यहां एक छोटा सा बाबा रामदेव का मंदिर था।
अब से लगभग 10 वर्ष पूर्व इस मंदिर का जीर्णोद्वार सभी समाज के लोगों के सहयोग से किया गया बाबा रामदेव के मंदिर में एक वट का वृक्ष भी है ,जो बहुत विशाल है।
वर्तमान में बाबा रामदेव जी की एक कमेटी के द्वारा मंदिर की भव्य सुसज्जित सजावट और विशाल भंडारे का आयोजन हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बाबा रामदेव जी की दशमी तिथि को बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया गया।
बाबा रामदेव जी जो मारवाड़ में रामसापीर के नाम से जाने जाते हैं ,और कलयुग में भगवान श्री राम के अवतार भी माने जाते हैं। तथा तंवर राजपूत के कुल भूषण बाबा रामदेव जी ही है।
बाबा रामदेव जी के जीवन से हमें यही प्रेरणा मिलती है ,की जांत-पांत, ऊंच नीच, भेदभाव से दूर रहकर सभी मानुष समभाव से मिलजुल कर रहे । यही बाबा का समाधि लेने से पूर्व रुणिचा रामदेवरा के लोगों को संदेश दिया था।
बाबा रामदेव जी ने मक्का से आए पांच पीरों को भी पर्चे दिए थे, वह भी बाबा रामदेव जी के सामने नतमस्तक होकर गए थे।
यही मुख्य कारण है, कि बाबा रामदेव जी को मुस्लिम समुदाय भी मानता है। और बाबा रामदेव जी के रुणिचा धाम पर राजस्थान के ही लोग नहीं वरन मध्य प्रदेश, गुजरात ,हरियाणा, दिल्ली आदि अनेक बाबा के भक्त और श्रद्धालु बाबा का वर्ष में दो बार मेला लगता है उसमें अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु नतमस्तक होने आते हैं।। एक मेला तो भाद्रपद माह में होता है और दूसरा माघ के महीने में होता है।
बाबा रामदेव जी ने अपने जीवन में अपने परिवार वालों को और गांव के लोगों को भी साक्षात पर्चे दिए थे । और मेघवाल जाति की डाली बाई को अपनी धर्म बहन बनाकर उन्होंने उच्च नीच का भेदभाव मिटाने का संपूर्ण समाज को बहुत बड़ा संदेश दिया था। लेकिन कुछ तथा कथित लोगों के द्वारा यहां छुआछूत ,उच्च नीच ,भेदभाव अभी भी गया नहीं है। जबकि हकीकत में हम सभी दो हाथ वाले मनुष्य,,, ब्रह्मा जी के बनाए हुए अद्भुत नमूने हैं।
रिपोर्टर :::वॉइस ऑफ़ मीडिया::::सीकर नीम का थाना , शिंभू सिंह शेखावत
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