सुजाक या स्वेतप्रदव रोग के उपचार में उपयोगी चामखस
सुजाक या स्वेतप्रदव रोग के उपचार में उपयोगी चामखस
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चामखस एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों सहित उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों का मूल निवासी पादप है। इस पौधे का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जिसमें बुखार, गठिया और त्वचा संबंधी बीमारियों का उपचार शामिल है।
श्री भगवानदास तोदी महाविद्यालय के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जितेंद्र कांटिया ने बताया कि बहुफली या चामखस जिसका वानस्पतिक नाम कोरकोरस डिप्रेसस है यह टीलिएसी कुल का सदस्य है। यह पथरीले क्षेत्रों में पाया जाता है। यह एक ऐसा पौधा है जिसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में विभिन्न बीमारियों के ईलाज के लिए किया जाता है। यह बुखार, सूजाक, मधुमेह और यौन रोग के इलाज में उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग टॉनिक, ठंडक देने वाली दवा के रूप में और सूजाक संक्रमण के इलाज में किया जाता है। इसके अतिरिक्त, इसके संभावित कामोद्दीपक गुणों के लिए भी इसे जाना जाता हैं। इसे खासकर बुखार में उपयोग किया जाता हैं।
इस पौधे से निकलने वाले म्यूसिलेज का उपयोग सूजाक के उपचार में किया जाता है।
माइग्रेन से राहत के लिए इसकी जड़ का लेप माथे पर लगाया जाता है। इसका उपयोग वीर्य द्रव की चिपचिपाहट बढ़ाने और मासिक धर्म संबंधी विकारों को दूर करने के लिए किया जाता है। एक शोध से पता चला है कि इसके मेथनॉलिक अर्क के क्लोरोफॉर्म अंश का उपयोग करके चूहों के यौन व्यवहार में सुधार किया जा सकता है और उनमें टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाया जा सकता है। इस पौधे के अर्क को घाव भरने के लिए पेस्ट के रूप में लगाया जाता है। इसका उपयोग पारंपरिक रूप से जीवाणुरोधी, कवकरोधी और कृमिनाशक एजेंट के रूप में किया जाता है। इसका उपयोग हेपेटाइटिस, यकृत की सूजन, मूत्र संबंधी, खुजली और स्तंभन दोष जैसी बीमारियों के उपचार में भी किया जाता है।
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