मोहिनी अट्टम की प्रस्तुति 21 फरवरी को

 मोहिनी अट्टम की प्रस्तुति 21 फरवरी को


संवाददाता विवेक अग्रवाल

उदयपुर (जनतंत्र की आवाज) 7 फरवरी। भारतीय लोक कला मण्डल की स्थापना पद्मश्री देवीलाल सामर द्वारा 22 फरवरी 1952 को आदिम एवं लोक कलाओं तथा शिल्प के संरक्षण, प्रचार-प्रसार एवं विकास के उद्धेश्य से की गई थी। भारतीय लोक कला मण्डल कि स्थापना को 73वें वर्ष हो चुके है तथा हर वर्ष स्थापना दिवस के अवसर पर आदिम एवं लोक कलाओं का कार्यक्रम लोकनुरंजन मेला एवं श्ल्पि मेला आयोजित किया जाता है इस वर्ष लोक कला मण्डल के 73वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर दिनांक 21 फरवरी को भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यों में से एक केरल का मोहिनी अट्टम प्रस्तुत किया जाएगा। मोहिनी अट्टम भारत के तटीय प्रदेश केरल के दो शास्त्रीय नृत्यों कथकली एवं मोहिनी अट्टम में से एक है। वास्तव में माहिनी अट्टम कथकली नृत्य से भी बहुत पुराना है जिसे केरल के मन्दिरों में किया जाता है। मोहिनी अट्टम की शाब्दीय व्यख्या मोहिनी के नृत्य के रूप में भी की जाती है। जो अति सुन्दरी अथवा हिन्दु पौराणिक गाथा दिव्य मोहिनी के रूप में है। जिसमें प्रकृति नामक एक युवती ने नृत्य व संगीत के माध्यम से स्वयं को भगवान के सम्मुख प्रस्तुत कर आराधना की थी।

दिनांक 21 फरवरी को स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर कोलकोत्ता की प्रसिद्ध मोहिनी अट्टम नृत्यांगना मोमिता पाॅल द्वारा उक्त कार्यक्रम उदयपुर की रंगपृष्ठ संस्था के तत्वावधान में आयोजित किया जाएगा जिसमें रंगपृष्ठ स्टुडियो की छात्राऐं कथक नृत्य प्रस्तुत करेंगी।

भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया की उक्त कार्यक्रम दिनांक 21 फरवरी को सायं 7.30 बजे आयोजित किया जाएगा जिसमें दर्शकों का प्रवेश निःशुल्क रहेगा।

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