सुविवि- पत्रकारिता विभाग में विश्व हिंदी दिवस पर विचार गोष्ठी ------------------- 'डिजिटल संसाधनों के जरिए पूरी दुनिया में धाक जमा रही हिंदी'

 सुविवि- पत्रकारिता विभाग में विश्व हिंदी दिवस पर विचार गोष्ठी

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'डिजिटल संसाधनों के जरिए पूरी दुनिया में धाक जमा रही हिंदी'

विवेक अग्रवाल

उदयपुर संवाददाता (जनतंत्र की आवाज) 10 जनवरी।। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के तत्वावधान में विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

मुख्य वक्ता हिंदी विभाग के सह आचार्य डॉ. नवीन नंदवाना ने कहा कि नई तकनीक के साथ और डिजिटल सुवि


धाओं के जरिए हिंदी पूरी दुनिया में स्थापित हो रही है और अपनी धाक जमा रही है। उन्होंने कहा कि हम लोग अंग्रेजी से भयग्रस्त रहते हैं, इस कारण हिंदी का भी सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। हिंग्लिश का प्रयोग इसी का उदाहरण है, जो की भाषाई गड़बड़ियां पैदा कर रही है। डॉ नंदवाना ने कहा कि डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए हम भाषा के नए मुहावरे संक्षिप्तीकरण के जरिए गढ़ रहे हैं लेकिन इससे हिंदी का मूल स्वरूप प्रभावित हो रहा है। उन्होंने पत्रकारिता के विद्यार्थियों से कहा कि शुद्ध हिंदी का इस्तेमाल करते हुए वे अपनी भाषा की कौशल और दक्षता का विकास करें ताकि पाठकों और दर्शकों तक सही और शुद्ध भाषा का प्रेषण हो सके।

प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. कुंजन आचार्य ने कहा कि इंटरनेट के महासमुद्र ने हिंदी को समृद्ध बना दिया है। दो दशक पूर्व तक हिंदी की उपस्थिति इंटरनेट पर ना के बराबर थी, लेकिन अब सर्च इंजन न सिर्फ देवनागरी को तवज्जो देते हैं बल्कि उसके प्रभाव को पूरी दुनिया में स्वीकार किया जा रहा है। अब जल्द ही यूआरएल के जरिए भी इंटरनेट सर्च किया जा सकेगा। यूनिकोड फॉन्ट ने पूरे इंटरनेट का नक्शा बदल दिया है। स्पीच टू टेक्स्ट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक नवीनतम उदाहरण है जो हिंदी को समृद्ध बना रहा है। इस अवसर पर डॉ भारत भूषण ओझा, विपिन गांधी और अनिल वनवानी ने भी विचार व्यक्त किये।

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