रेलवे ने पार्सल लोडिंग के नियमों में सुधार कर आसान बनाया*

 *रेलवे ने पार्सल लोडिंग के नियमों में सुधार कर आसान बनाया* 



*व्यापारियों के लिए सरल और सुगम पार्सल लोडिंग की सुविधा उपलब्ध होगी*


रेलवे द्वारा विगत समय में पार्सल लोडिंग के माध्यम से व्यापारियों के बिज़नस को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नियमों में सुधार का उन्हें सरल और आसान बनाया गया है, जिससे व्यापारी रेलवे के माध्यम से आसानी से अपना सामान गंतव्य स्थान पर भेज सकते हैं।


हाल ही में जम्मू कश्मीर तक रेल परिवहन की शुरुआत होने से जम्मू-कश्मीर में पार्सल बिज़नेस को बढ़ावा मिला है। 

जम्मू कश्मीर में भारतीय रेल द्वारा पार्सल सेवा शुरू होने के बाद छोटे किसानों और कृषि उत्पादों से जुड़े व्यापारियों को इससे जोड़ने के लिए बड़े सुधार किए गए हैं। पहले कुछ मानक नियमों के कारण छोटे व्यापारी ‘एग्रीगेटर’ के रूप में पंजीकरण नहीं करा पा रहे थे, लेकिन अब नियमों में ढील देकर उन्हें पार्सल नेटवर्क से जोड़ने का रास्ता आसान बना दिया गया है। वर्तमान में जम्मू डिवीजन में 20 से अधिक एग्रीगेटर पंजीकृत हैं।

पार्सल कार्गो एक्सप्रेस की उपलब्धि: 

13 सितंबर से जम्मू-कश्मीर के बडगाम से दिल्ली के आदर्श नगर तक पार्सल कार्गो एक्सप्रेस सेवा शुरू हुई।  इन सेवाओं के माध्यम से 224 पार्सल वैन (VPs) और 1 SLR के माध्यम से 5,380 टन माल बडगाम से दिल्ली भेजा गया और वापसी में 134 VPs और 17 SLRs के जरिए 4,055 टन माल दिल्ली से बडगाम भेजा गया।


यह आंकड़े बताते हैं कि नए क्षेत्रों में भी पार्सल सेवा को व्यापक रूप से अपनाया जा रहा है।


रेलवे द्वारा पार्सल परिवहन प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए निम्न बिन्दुओं पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है- 


1. ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस: सुगम एवं आसान प्रक्रिया

- जॉइंट पार्सल प्रोडक्ट – रैपिड कार्गो सर्विस (JPP-RCS)

- लॉजिस्टिक्स या ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में ₹50 लाख के नेट टर्नओवर की अनिवार्यता समाप्त।

- एग्रीगेटर बनने के लिए शुल्क ₹20,000 + GST से घटाकर ₹10,000 + GST किया गया।

- पार्सल कार्गो एक्सप्रेस लीज़िंग पॉलिसी

- PCET टेंडरों में भाग लेने के लिए 10 करोड़ नेट टर्नओवर की अनिवार्यता हटाई गई।


ई-ऑक्शन प्रक्रिया में सुधार

- VPs और SLRs की ई-नीलामी में भी टर्नओवर संबंधी शर्तें हटा दी गई हैं।

- इन सुधारों के बाद एग्रीगेटरों की संख्या 24 से बढ़कर 102 हो गई है, जिससे पार्सल स्पेस के बेहतर उपयोग का मार्ग खुला है।


2. SLR स्पेस की लीज़ प्रक्रिया अब अधिक लचीली व सरल की गई है। 

- अब SLR, पार्सल वैन या कंपार्टमेंट की लीज़ 10 से 90 दिनों के लिए भी उपलब्ध होगी। 

- मांग के अनुसार शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म लीज़ दोनों विकल्प उपलब्ध हैं।

इससे बाजार की बदलती ज़रूरतों के हिसाब से पार्सल ऑपरेशन अधिक प्रभावी हो गए हैं।


3. खाली दिशा में माल ढुलाई पर प्रोत्साहन

- उस दिशा में जहां पार्सल आमतौर पर खाली जाते थे, अब सस्ते किराए पर लोडिंग की सुविधा दी जा रही है।

इससे लागत घटेगी और उपलब्ध स्पेस का अधिकतम उपयोग होगा।


4. CONCOR भी जुड़ा पार्सल नेटवर्क से

- CONCOR अब एग्रीगेटर के रूप में पंजीकृत है।

- मुंबई–कोलकाता रूट पर फर्स्ट माइल–लास्ट माइल (FMLM) सेवा शुरू। आगे इसे और शहरों तक बढ़ाया जाएगा।


5. हैदराबाद में FMLM के साथ पार्सल बुकिंग की अनुमति दी गई है। जल्द ही डोर-टू-डोर सेवा शुरू होगी।

इस सेवा की सफलता के आधार पर इसे अन्य ज़ोन में भी लागू किया जाएगा।


पार्सल सेवाओं को विस्तारित करने के उद्देश्य से भविष्य की योजनाएँ प्रस्तावित की गई है- 

- ट्रांसशिपमेंट सुविधा

- ऑनलाइन बुकिंग के लिए मोबाइल ऐप

- डोर-टू-डोर सेवा के लिए अधिक साझेदारियां

- डबल डेकर कोच—नीचे पार्सल स्पेस

- 130 किमी/घं. की गति वाली पार्सल EMU ट्रेन


भारतीय रेल के पार्सल परिवहन के क्षेत्र में किए गए इन सुधारों से मध्यम है लघु श्रेणी के व्यापारियों, किसानों और लॉजिस्टिक्स सेक्टर को नई गति मिलने की उम्मीद है।

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