निर्जला एकादशी व्रत हम सब स्मार्तियों (सामान्य भाषा में गृहस्थियों) के लिए शुक्रवार छह जून का है।

 निर्जला एकादशी व्रत हम सब स्मार्तियों (सामान्य भाषा में गृहस्थियों) के लिए शुक्रवार छह जून का है।



और वैष्णव दीक्षा प्राप्त सन्त महन्त वैष्णव जनों के लिए सात जून का।


हम स्मार्त जन द्वादशी में पारण करते हैं। अतः एकादशी व्रत कल शुक्रवार को करना ही श्रेयस्कर है।

और 

तिलक छाप कण्ठी और वैष्णव दीक्षा प्राप्त वैष्णव जन त्रयोदशी में पारण करते हैं। अतः वैष्णवों का एकादशी व्रत शनिवार को ही श्रेयस्कर है। 


निम्बार्कियों की एकादशी भी शनिवार को ही श्रेयस्कर है।


शुक्रवार को अरुणोदय से पूर्व ही एकादशी आ जाएगी। 

सामान्य रूप से अरुणोदय पूर्व एकादशी आ जाने पर स्मार्त और वैष्णव एकादशी व्रत शुक्रवार को ही होना चाहिए था। 

*परन्तु द्वादशी तिथि की वृद्धि होने के कारण वैष्णवों को द्वादशी युक्त शनिवार को ही व्रत करना शुभ है। जिससे वे रविवार द्वादशी के पश्चात् त्रयोदशी में व्रत का पारण कर सकें।*


*एकादशी को छोड़कर सभी तिथियां वृद्धि होने पर मल संज्ञक हो जाती है। उनमें कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।*

हां यदि एकादशी वृद्धि हो जाए अर्थात्  दो दिन एकादशी हो तो स्मार्त वैष्णव निम्बार्कियों आदि को दूसरे दिन वाली एकादशी के दिन व्रत करना ही श्रेयस्कर है।


प्राचीन परम्परा प्राप्त मन्दिर प्रायः वैष्णव परम्परा के हैं। उनके यहां शनिवार को एकादशी व्रत रहेगा। 

जबकि हम सब गृहस्थी प्रायः स्मार्त परम्परा हैं इनका एकादशी व्रत शुक्रवार को ही है।


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