वंदे गंगा: उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने राजसमंद में किया भव्य आगाज

 वंदे गंगा: उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने राजसमंद में किया भव्य आगाज





राजस्थान की पारंपरिक जल संरक्षण प्रणालियाँ हमें देती है प्रेरणा :उप मुख्यमंत्री


जल संरक्षण के संकल्प को व्यवहार में उतारें :उपमुख्यमंत्री


राजस्थान के लोगों ने जल संरक्षण के क्षेत्र में सामुदायिक भागीदारी से टिकाऊ समाधान खोजे :उप मुख्यमंत्री


त्याग, बलिदान, शक्ति और भक्ति की धरती राजसमंद पर आकर मैं सदैव महसूस करता हूँ गौरवान्वित :उप मुख्यमंत्री


विधायक दीप्ति माहेश्वरी ने दिलाई जल संरक्षण की शपथ, राजसमंद झील पर की पूजा अर्चना


राजसमंद / पुष्पा सोनी

 

उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने गुरुवार को राजसमंद में ‘वंदे गंगा’ (जल संरक्षण-जन अभियान) की भव्य शुरुआत की। उन्होंने यहां राजसमंद झील स्थित इरिगेशन पाल विधिवत पूजा अर्चना की और फिर जिला स्तरीय कार्यक्रम में शिरकत की। इससे पहले प्रभात फेरी और भव्य कलश यात्रा का भी आयोजन हुआ जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं कलश लेकर इरिगेशन पाल पहुंची।


इस दौरान विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी, जिला प्रमुख रतनी देवी जाट, प्रधान अरविन्द सिंह राठौड़, पर्यावरणविद एवं पद्मश्री से विभूषित श्यामसुंदर पालीवाल, समाजसेवी जगदीश पालीवाल, जिला प्रभारी सचिव भगवती प्रसाद कलाल, जिला कलक्टर बालमुकुंद असावा, एडीएम नरेश बुनकर, जिला परिषद सीईओ बृजमोहन बैरवा आदि उपस्थित रहे।


उप मुख्यमंत्री डॉ. बैरवा ने संबोधित करते हुए कहा कि त्याग, बलिदान, शक्ति और भक्ति की धरती राजसमंद पर आकर वे सदैव ही गौरवान्वित महसूस करते हैं।


राजस्थान भौगोलिक रूप से कई विशेषताओं को समेटे हुए हैं। यहाँ विभिन्न प्रकार के भौगोलिक क्षेत्र जैसे- मरुस्थल, शुष्क एवं अर्द्ध शुष्क क्षेत्र, मैदानी क्षेत्र और हरे-भरे वन क्षेत्र विद्यमान हैं। हमारे यहाँ एक बड़े भू-भाग में पानी की समस्या होने से जल संरक्षण की परंपरा सदियों पुरानी रही है।


डॉ. बैरवा ने कहा कि राजस्थान के लोगों ने जल की महत्ता को गहराई से समझते हुए पारंपरिक जल संचयन प्रणालियां विकसित की, जो आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं। बावड़ियाँ, कुंड, तालाब, जोहड़, टांके, नाड़ी, खड़ीन जैसे जल संरक्षण के अद्भुत उदाहरण इस बात का प्रमाण हैं कि किस प्रकार राजस्थान के लोगों ने सीमित जल संसाधनों के बावजूद सामुदायिक भागीदारी से टिकाऊ समाधान खोजे। बावड़ियाँ और कुंड स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरण होने के साथ-साथ जल भंडारण के महत्वपूर्ण साधन रहे हैं।


इन परंपरागत जल संरचनाओं ने न केवल पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की, बल्कि सामाजिक समरसता और पर्यावरण संतुलन को भी बनाए रखा।


उप मुख्यमंत्री डॉ. बैरवा ने कहा कि आज के दौर में जब जल संकट गहराता जा रहा है, तब राजस्थान की ये पारंपरिक जल संरक्षण प्रणालियाँ हमें जल प्रबंधन की दिशा में लोक-आधारित समाधान अपनाने की प्रेरणा दे रही हैं। "वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान" जैसे प्रयास इन्हीं परंपराओं का रूप हैं।


जहां एक ओर सरकार जल जीवन मिशन के माध्यम से हर घर तक नल से जल पहुंचाने की दिशा में प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है, तो वहीं जल स्रोतों के संरक्षण के लिए विभिन्न पहल की गई है। मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के माध्यम से हजारों जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है ताकि भूजल स्तर में वृद्धि हो सके।


डॉ. बैरवा ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री महोदय के 'एक पेड माँ के नाम' अभियान को फलीभूत करते हुए सरकार ने वृक्षारोपण अभियान को पूरी गंभीरता से लेते हुए यह तय किया है कि पौधों को लगाने के बाद उनकी देखरेख भी सुनिश्चित हो ताकि वे छायादार वृक्ष बन सकें।


उन्होंने कहा कि यह उनके लिए अत्यंत गौरव और आनंद का विषय है कि आज सभी "वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान" के शुभारंभ अवसर पर एकत्र हुए हैं। भारतीय संस्कृति में हम गंगा नदी को मां गंगा कह कर पुकारते हैं क्योंकि गंगा न सिर्फ जीवन दायिनी है बल्कि हमारी आस्था का भी प्रतीक है। मां गंगा के नाम से आरंभ यह अभियान माननीय मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा जी की दूरदर्शिता और पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रत्यक्ष उदाहरण है।


उप मुख्यमंत्री डॉ. बैरवा ने कहा कि हमारी संस्कृति में नदियों को माँ का दर्जा प्राप्त है और पर्यावरण को पूज्य भाव से देखा जाता है। जल हमारे जीवन का मूल तत्व है लेकिन आज यही जल संकट की स्थिति में पहुँचता जा रहा है। इस चुनौती से निपटने का एकमात्र उपाय है। जन जागरूकता और जनसहभागिता। इस अभियान के माध्यम से राज्य सरकार ने हमें एक सुनहरा अवसर दिया है कि हम सभी मिलकर जल संरक्षण के संकल्प को व्यवहार में उतार सकते हैं।


उन्होंने कहा कि अभियान के अंतर्गत रैली, रन फॉर एनवायरनमेंट, पौधारोपण, जल स्रोतों की सफाई, नेचर वॉक, तुलसी पौधा वितरण, श्रमदान, प्याऊ स्थापना, रूफटॉप रेनवॉटर हार्वेस्टिंग की सफाई, निबंध, भाषण प्रतियोगिताएं, महापुरुषों की प्रतिमाओं की सफाई, जल संरचनाओं का लोकार्पण और गाद निकासी, महिला समूहों की सहभागिता, अधिकाधिक फार्म पौण्ड की स्वीकृति और "कर्मभूमि से मातृभूमि" अभियान जैसे अनेक नवाचारात्मक प्रयास शामिल किए गए हैं। यह विविध कार्यक्रम हमें यह याद दिलाते हैं कि जल संरक्षण केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।


उप मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल जल संरचनाएं बनाना नहीं है, बल्कि "जल चेतना" का विस्तार भी करना है। जब तक हर नागरिक, हर गांव, हर घर तक यह संदेश नहीं पहुँचेगा, तब तक कोई भी अभियान पूर्ण नहीं माना जा सकता। 


जिला स्तरीय कार्यक्रम से पहले सांसद श्रीमती महिमा कुमारी मेवाड़ भी पहुंची और राजसमंद झील पर पूजा अर्चना की। 


विधायक दीप्ति माहेश्वरी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण एवं विशेष तौर पर प्लास्टिक से मुक्ति की दिशा में जिले में अनुकरणीय कार्य हुए हैं। जिले में ग्रामीण क्षेत्र में भी नगरीय क्षेत्र की तर्ज पर घर-घर कचरा संग्रहण हेतु ऑटो टिपर वाहन उपलब्ध कराए जा रहे हैं जिससे ग्राम स्वच्छता का संकल्प भी साकार होगा।


जिला प्रमुख रतनी देवी जाट ने कहा कि हम सभी को मिलकर प्रधानमंत्री के जल संरक्षण के संकल्प को साकार करना है। जिला कलक्टर बालमुकुंद असावा ने वंदे गंगा अभियान के तहत जिले में तैयार हुई कार्य योजना की जानकारी मंच से साझा की। 


उप मुख्यमंत्री डॉ. बैरवा कार्यक्रम समापन के पश्चात नगर परिषद के निकट नवनिर्मित एवं हाल ही में लोकार्पित राजसमंद विधायक दीप्ति माहेश्वरी के जनसुनवाई केंद्र पहुंचे और अवलोकन किया। कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, स्थानीय नागरिक, एसएचजी समूहों की महिलाएं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताऐं, शहरी रोजगार योजना के श्रमिक आदि उपस्थित रहे।

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