गमेर बाग धाम में अहिंसा रथ का स्वागत किया
- गमेर बाग धाम में अहिंसा रथ का स्वागत किया
उदयपुर, 10 अगस्त। गोवर्धन विलास हिरण मगरी सेक्टर 14 स्थित गमेर बाग धाम में श्री दिगम्बर जैन दशा नागदा समाज चेरिटेबल ट्रस्ट एवं सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में गणधराचार्य कुंथुसागर गुरुदेव के शिष्य बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज, मुनि उत्कर्ष कीर्ति महाराज, क्षुलक सुप्रभात सागर महाराज के सान्निध्य में प्रतिदिन वर्षावास के प्रवचन एवं विविध आध्यात्मिक व धार्मिक क्रियाएं सम्पन्न हो रही है। कार्यक्रम संयोजक दिनेश वेलावत व कमलेश वेलावत ने बताया कि रविवार 11 अगस्त को पाश्र्वनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक दिवस पर मुकुट सप्तमी महोत्सव का आयोजन होगा। गमेर बाग धाम में रविवार सुबह 7 बजे 23 परिवारों द्वारा जैन समाज के 23वें तीर्थंकर पाश्र्वनाथ भगवान को निर्वाण लड्डू अर्पण किया जाएगा।
सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, महामंत्री सुरेश पद्मावत ने संयुक्त रूप बताया कि शनिवार को मुनिश्री का पाद प्रक्षालन, दीप प्रज्जवलन जमनालाल धताणिया, रोशनलाल देवड़ा व अर्घ समर्पण हेमराज वेलावत, मंजू देवी - भंवरलाल गदावत ने किया। धर्मसभा के पूर्व शंतिधारा, अभिषेक, शास्त्र भेंट, चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्वलन जैसे मांगलिक आयोजन हुए। शाम को सभी श्रावक-श्राविकाओं ने मुनि संघ की आरती की। उन्होनें बताया कि शनिवार को गमेर बाग धाम में अहिंसा रथ का स्वागत किया गया। चर्या चक्रवृति आचार्य सुनीलसागर महाराज की प्रेरणा से भगवान महावीर स्वामी के 2555वें निर्वाण महोत्सव पर अहिंसा रथ द्वारा भारत भ्रमण के अन्तर्गत गमेर बाग धाम में पदार्पण हुआ। जिस पर बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज के सान्निध्य में पूजा-अर्चना व अभिषेक किया गया। जिसमें नर्बदा देवी-भंवरलाल बोहरा, लोकेश, मंजू, हर्ष, श्वेता मुण्डलिया द्वारा हर्षोल्लास व भक्ति पूर्वक भाव वंदना की गई।
चातुर्मास समिति के विजयलाल वेलावत व हेमेन्द्र वेलावत ने संयुक्त रूप से बताया कि शनिवार को इस अवसर आयोजित धर्मसभा में बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज ने जीवन में शांति के महत्व को बताते हुए कहा कि मनुष्य के पास सब कुछ है परन्तु संतोष नहीं है तो कुछ भी नहीं है। अगर संतोष है तो सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है। किसी के प्रति राग द्वेष बढ़ाने से अशांति होती है और राग द्वेष घटाने से शांति की प्राप्ती होती है। जीवन के परिणाम शांत रखना चाहिए जिस प्रकार प्रभु राम ने वनवास होने पर भी परिणाम को शांत रखा तो वनवास के पश्चात राज्याभिषेक हुआ। कार्यक्रम का संचालन पुष्कर जैन भदावत ने किया। इस इस दौरान सकल जैन समाज के सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।
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