भारतीय, संस्कृति, परम्परा हमारी विरासत ही नहीं सनातन भी है - प्रो. सारंगदेवोत

 भारतीय, संस्कृति, परम्परा हमारी विरासत ही नहीं सनातन भी है - प्रो. सारंगदेवोत



उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल । विरासत किसी भी देश की पहचान होती है, उस देश की उन्नति की कल्पना उसकी विरासत, सनातन मूल्यों से की जा सकती है। भारत का बहुत बड़ा दुर्भाग्य रहा कि यहाॅ वर्षो से अनेक आक्रान्ताओं ने हमारी विरासत को तहस-नहस कर दिया। इतना बहुत हो जाने के बाद भी हमारी बहुत सी विरासते हैं, जो बची हैें और जिनके संरक्षण की आवश्यकता है। प्राचीन महल , इमारतों के साथ हमारी भारतीय संस्कृति, परम्परा, खान - पान, लोक गीत, रहन - सहन हमारी विरासत है इसे भावी पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हमारी है। उक्त विचार सोमवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के संघटक विज्ञान संकाय एवं इंटेक उदयपुर चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में अन्तरविश्वविद्यालय स्नैप कलचर: लेंस एंड पैन्स विषय पर आयोजित प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित करते हुए कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने बतौर अध्यक्षीय उद्बोधन में कही। उन्होंने कहा कि हमारी विरासत से ही हमारे प्राचीन ज्ञान की कल्पना की जा सकती है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि पूर्व निदेशक ललित पाण्ड्ेय, डॉ. सतीश श्रीमाली ने कहा कि विरासत ज्ञान की नींव बच्चे को दादा, दादी, नाना, नानी से मिलती है। इसलिए विरासत को सहेजने की शुरूआत अपने घर से करनी चाहिए। आज के युवा अपने पारम्परिक खान-पान से दूर हो रहा है जो चिंता का विषय है, इसके कारण आने वाले समय में कुपोषण का शिकार भी बन सकते हैं। आज के युवा जंक फुड की ओर अधिक आकर्षित हो रहे है। उन्होंने कहा कि मेवाड़ की विरासत विश्व विख्यात है। विदेशों से हर वर्ष लाखों की संख्याॅ में पर्यटक हमारी विरासत, झीले, पहाड़, लोक संस्कृति, खान-पान, रहन-सहन को देखने आते हैं, लेकिन हम ही उसे धीरे धीरे उसे भूलते जा रहे हैं।


प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए निदेशक डाॅ. सपना श्रीमाली ने बताया कि छात्र-छात्राओं को विरासत के प्रति जागरुक करने और उसके संरक्षण के प्रति रुचि लेने के उद्देश्य से फोटोग्राफ एवं लघु निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में मोहनलाल सुखाड़िया विवि, गीतांजलि इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल स्टडीज, पेसिफिक यूनिवर्सिटी, राजस्थान विद्यापीठ विवि के विद्यार्थियों ने भाग लिया। इंटेक एक राष्ट्र स्तरीय न्यास है जिसके पूरे भारत में दो सौ से अधिक स्कंध हैं। यह प्रतियोगिता छात्रों को स्नैप कल्चर के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने का मौका प्रदान करती है, जैसे कि समाज, संस्कृति, और पर्यावरण। यह एक अवसर है छात्रों की रचनात्मकता को व्यक्त करने का।  

ये रहे विजयी:-प्रतियोगिता में डिंपल कवर, खुशबू जैन प्रथम, खुश दवे - द्वितिय स्थान पर रहे। नेहा वैष्णव, तान्या देवल, खुशहाल पालीवाल, समक्ष डांगी को सांत्वना पुरस्कार से नवाजा गया।  


संचालन सिद्धिमा शर्मा ने किया जबकि आभार डॉ. मंगल श्री दुलावत ने जताया।प्रतियोगिता में भावेश जोशी, डाॅ. दीप्ति सोनी, डाॅ. उत्तम प्रकाश शर्मा, डाॅ. योगिता श्रीमाली, सुश्री सिद्धिम शर्मा, डाॅ. पूजा जोशी, हिमानी वर्मा, शक्तिक चैधरी ने अपना सहयोग दिया।

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