हाईकोर्ट के स्टे के बाद भी काटी जा रही है फसल

 हाईकोर्ट के स्टे के बाद भी काटी जा रही है फसल


पाटन।हाईकोर्ट से जारी स्टे जिसकी पालन होना अनिवार्य है उसके बाद भी स्टे की पालना करना तो दूर की बात है, मौका मिलते ही जमीन में खड़ी सरसों एवं गेहूं की कटाई की जा रही है, जबकि स्टे का अर्थ यथास्थिति बनाए रखना होता है।ऐसा ही प्रकरण पाटन क्षेत्र का सामने आया है।सुनील दीवान पुत्र मदनलाल दीवान ने बताया कि मैं मेरे चाचा केदार दीवान की सम्पूर्ण खातेदारी भूमि का सौदा 25 लाख रुपए में 2008 में किया था, जिसमें 20 लाख का भूगतान चेक के द्वारा कर दिया गया था शेष रकम रजिस्ट्री करवाने पर देने की बात हुई थी। केदार दीवान द्वारा रजिस्टर्ड इकरारनामा लिखा गया ,परंतु पैसा लेने के बाद केदार दीवान ने मेरे नाम रजिस्ट्री नहीं करवाई। मैंने उनको रजिस्ट्री के लिए अनेकों बार कहा, परन्तु परिवार के चलते मैंने भी उन पर कोई दबाव नहीं दिया, लेकिन जमीन का सौदा होने के बाद से ही कब्जा मेरे पास था। रजिस्टर्ड एग्रीमेंट में पुराने खसरा नंबर 309, 310, 311, 312, 313, 314 कुल 2. 79 हेक्टेयर भूमि कुल खसरा 6 का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट मेरे नाम से है। जब उन्होंने मेरे नाम जमीन रजिस्ट्री नहीं करवाई तो मुझे मजबूरन न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। नीमकाथाना न्यायालय द्वारा मेरे दावे को खारिज कर दिया, इसी दौरान केदार दीवान ने उपरोक्त खसरों में से चार खसरों की रजिस्ट्री एवं शेष खसरों का एग्रीमेंट किसी अन्य व्यक्ति को कर दिया गया ,जबकि मेरा रजिस्टर्ड एग्रीमेंट लिखा हुआ था। इस बारे में मेरे द्वारा हाईकोर्ट में गुहार लगाई गई जंहा न्यायालय द्वारा संपूर्ण जमीन पर स्टे आर्डर जारी किया गया। जिसकी पालना हेतु हमने तहसीलदार पाटन, थानाधिकारी पाटन, उपखंड अधिकारी नीमकाथाना , जिला कलेक्टर नीमकाथाना को अवगत करवाया, उसके बावजूद भी केदार दीवान द्वारा चोरी छुपे फसल की कटाई करवा कर अपना कब्जा दिखाने का प्रयास कर रहा है।

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