मां एक शब्द नहीं बल्कि वो चरित्र है जिसने इस दुनियां को बनाया है - नसीम अंसारी*

 *तरुण चेतना द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस दिवस का आयोजन:-*

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*मां एक शब्द नहीं बल्कि वो चरित्र है जिसने इस दुनियां को बनाया है - नसीम अंसारी*




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पट्टी (प्रतापगढ़) तरुण चेतना संस्थान द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं व बालिकाओं के खिलाफ होने वाली लैंगिक व घरेलू हिंसा के खिलाफ रैली के माध्यम से महिलाओं ने अपनी आवाज बुलंद की पट्टी ब्लाक के सरसतपुर में महिला सम्मेलन में तरुण चेतना के निदेशक नसीम अंसारी ने कहा कि जागरूकता से ही मानवाधिकारो का हनन रोका जा सकता है। श्री अंसारी ने कहा कि सभ्य समाज के लिए महिला हिंसा एक अभिशाप है। इसे रोकने के लिए महिलाओं के साथ पुरुषों को भी आगे आना होगा। श्री अंसारी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर चर्चा करते हुए कहा कि मां एक शब्द नहीं बल्कि वो चरित्र है जिसने इस दुनियां को बनाया है वर्तमान में हम भूल गए हैं कि हमारा जीवन मां के परोपकार से है।

      इसी क्रम में मैसवा मैन हकीम अंसारी ने घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 पर चर्चा करते हुए कहा कि अधिनियम 2005 प्रत्येक महिला को संरक्षण प्रदान करता है।महिलाओं के प्रति उनके घर में होने वाले अपराधों से संरक्षण देने के लिए अनेक अधिनियम पारित हुआ जैसे दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961, बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, हिंदू विवाह अधिनियम. यह सभी अधिनियम मानव अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। मानव अधिकार सुनिश्चित हो हम सबकी जिम्मेदारी है। श्री हकीम ने महिलाओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि- तूफान आता है तो दिन रात बदल जाता है। जब गरजती है नारी शक्ति तो इतिहास बदल जाता हैं।

   कार्यक्रम में शकुंतला देवी ने कहा कि महिला के सम्मान बिना हर बदलाव अधूरा है महिलाओं को भी पुरुष के बराबर समान अधिकार मिलना चाहिए। गार्गी बर्मा ने कहा कि महिलाओं का सम्मान करना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है अगर बेटी नहीं तो समाज की परिकल्पना करना संभव नहीं है।

समाजसेविका कलावती ने अपने उद्बोधन में कहा कि बेटा एक कुल को रोशन करता बेटियां दो कुल को रोशन करती है।

बाल अधिकार परियोजना के कोऑर्डिनेटर शिवशंकर चौरसिया ने बहनों का उत्साह वर्धन करते हुए कहा कि महिलाओं को भी आगे बढ़ने के अवसर देना चाहिए क्योंकि महिला हमारे देश कि आधी आबादी है। पुरुषों को भी अपनी मानसिकता को बदलकर महिलाओ को भी अधिकारी रुप से सम्मान देना चाहिए।

कार्यक्रम के अंत में रैली निकाली गयी. चुप्पी तोडो हिंसा रोकों, रहम नहीं अधिकार चाहिए महिला को सम्मान चाहिये आदि नारा अपनी आवाज बुलंद किया।

इस संचालन आरती वर्मा, ने किया।

जिससे, संगीत बर्मा, नाजरीन बानो, इसरत जहां, छाया गौतम, बृजलाल, शहीद अहमद, सावित्री देवी, मालती, चन्द्रावती, सुमन देवी, तारा देवी, अनीता देवी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

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