लोक अदालत के आयोजन में पारिवारिक मामलों के आपसी राजीनामे के निस्तारण करने की प्रक्रिया समझी
लोक अदालत के आयोजन में पारिवारिक मामलों के आपसी राजीनामे के निस्तारण करने की प्रक्रिया समझी
उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल । राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में जिला एवम् सेशन न्यायालय उदयपुर में दिनांक 09 मार्च को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया| डॉ अनुष्का विधि महाविद्यालय के निदेशक डॉ. एस.एस. सुराणा ने बताया कि महाविद्यालय के छात्र छात्राओ के एक दल ने डॉ. मोहम्मद हारून छीपा, उपाचार्य के निर्देशन में राष्ट्रीय लोक अदालत की कार्यवाही में भाग लिया| लोक अदालत की कार्यवाहियों के अवलोकन के दौरान विधि विधार्थियों को न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय, क्र. सं. 1 मनीष अग्रवाल ने पारिवारिक मामलों के आपसी राजीनामे के निस्तारण करने की प्रक्रिया तथा हिन्दू विधि एवं मुस्लिम विधि में तलाक, भरणपोषण एवं संरक्षता सम्बन्धी प्रावधानों को विस्तार से समझाया|
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव कुलदीप शर्मा ने विधार्थियों को लोक अदालत के क्षेत्राधिकार के बारे बताते हुवे कहा की ऐसे मामले जो सिविल प्रकृति के है या आपराधिक प्रकृति के राजीनामा योग्य मामले है वो लोक अदालत के क्षेत्राधिकार में आते है| कुलदीप शर्मा ने विधार्थियों द्वारा विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 एवं लोक अदालत से सम्बंधित पूछे गए सवालों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासा को भी शांत किया|
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट क्र. सं. 3 डॉ. पियूष जैलिया ने दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 41 को समझाते हुए बताया कि किसी भी अभियुक्त को गिरफ्तार करने से पूर्व किन नियमो का पालन किया जाना जरुरी है| इसी दौरान एक प्रकरण अवकाशकालीन मजिस्ट्रेट के रूप में डॉ. पियूष जैलिया के समक्ष लाया गया जिसमे धारा 41 के प्रावधानों का पालन नही किये जाने के कारण जमानत पर रिहा किया गया| न्यायालय में उपस्थित ट्रैनी आई.पी.एस. एवं पदेन थानाधिकारी निश्चय प्रसाद एम. ने विधार्थियों को अभियुक्त के अधिकारों के बारे में जानकारी प्रदान की एवं साथ ही पुलिस की कार्यप्रणाली एवं पुलिस को लेकर समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया|
लोक अदालत में निजी एवम सरकारी कार्यालयों के प्रतिनिधि अपने कार्यालयों की ओर से राजीनामे के लिए उपस्थित थे|
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