शिक्षा के माध्यम से समाज के कल्याण के लिए कार्य करे -महाराज कुमार विश्वराज सिंह मेवाड़
शिक्षा के माध्यम से समाज के कल्याण के लिए कार्य करे -महाराज कुमार विश्वराज सिंह मेवाड़
परम्परा, रीति रिवाज और आधुनिक शिक्षा के वर्तमान परिदृश्य में परस्पर समंन्वय की शिक्षा प्रणाली की आज जरुरत : कुंवरानी साहिबा महिमा कुमारी मेवाड़
(भूपाल नोबल्स संस्थान का शिखर महोत्सव भूपाल जयंती उल्लासपूर्वक मनाया गया)
उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल। भूपाल नोबल्स संस्थान के प्रताप चैक में संस्थान का शिखर शिरोमणी महोत्सव एवं महाराणा भूपाल सिंह जी की 140वीं जयंती उल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि एवं नाथद्वारा विधायक महाराज कुमार विश्वराज सिंह मेवाड़ ने संस्थान की प्रगति पर हर्ष व्यक्त करते हुए एवं शुभाषीश देते हुए कहा कि बडे़ हुजूर महाराणा भूपाल सिंह जी का शिक्षा के प्रति विशेष अनुराग था और इसीलिए मेवाड़ के बालक-बालिकाओं की शिक्षा के लिए अनेक स्कूल एवं काॅलेजो की स्थापना की जिससे बालक-बालिकाओं को शिक्षा का अवसर प्राप्त हो ताकि वे अपने परिवार समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान कर सके। शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे कोई भी व्यक्ति राष्ट्र के गौरव को ऊंचा रख सकने में समर्थ हो सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के माध्यम से हमें समाज के कल्याण के लिए कार्य करते रहना चाहिए।
इस अवसर पर कंवराणी साहिबा महिमा कुमारी जी मेवाड़ ने महाराणा भूपाल सिंह जी के सामाजिक, सास्कृतिक और राजनीतिक अवदान को रेखांकित करते हुए कहा कि वे हम सभी के प्रेरणा स्रोत हैं। आज के दिन उन्हें नमन् करते हुए उनके सत्य के मार्ग पर चलने की नीति का संकल्प करते है। उन्होंने कहा कि परम्परा, रीति रिवाज और आधुनिक शिक्षा के वर्तमान परिदृश्य में इनके बीच परस्पर समंन्वय रखते हुए शिक्षा प्रणाली को अपनाना चाहिए और इसी नीति से हम विश्व में हमारी भारतीय संस्कृति को बनाये रख सकते है। बदलाव समय की विशेषता है और हमें समय के साथ बदलाव के साथ परम्पराओं और रीति रिवाजों को बनाये रखना भी हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। मेवाड़ की एैतिहासिक परम्पराओं का उल्लेख करते हुए कहा कि हमेें हमारी गौरवशाली परम्पराओं का अनुसरण और सरंक्षण करना चाहिए। यह जिम्मेदारी हमारी युवा पीढ़ी पर है।उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उल्लेख करते हुए कहा की वे अक्सर अपने भाषणों में प्रताप, पन्नाधाय, मीरा, भूपाल का जिक्र करते रहते हैं। इसी के साथ उन्होंने संस्था कीे निरन्तर प्रगति के शुभकामना प्रेषित की।
समारोह से पूर्व अतिथियों द्वारा संस्थान परिसर में अवस्थित महाराणा भूपाल सिंह जी की प्रतिमा पर पुष्पांजली अर्पित की गई।
इससे पूर्व मुख्य अतिथि महाराज कुमार विश्वराज सिंह मेवाड़ का नाथद्वारा विधायक निवार्चित होने के बाद संस्थान में प्रथम बार पदार्पण होने पर अभिनन्दन पत्र समर्पित किया गया। अभिनन्दन पत्र का वाचन संस्थान के प्रबन्ध निदेशक मोहब्बत सिंह राठौड़ द्वारा किया गया।
संस्थान के कार्यवाहक अध्यक्ष कर्नल प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने महाराणा भूपाल सिंह जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महाराणा भूपाल सिंह जी युगदृष्टा, और कुशल रणनीतिकार होने के साथ साथ समाजिक सरोकारो के लिए प्रतिबद्ध रहे है। तत्कालिन समय के सामाजिक और राजनैतिक विकास उनकी जनप्रतिबधता के कारण थे। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा संस्थान की विभिन्न इकाईयों के प्रतिभावान विद्यार्थियों, खिलाड़ियों, एन.सी.सी. कैडेटस् का प्रमाण पत्र और पारितोषित प्रदान कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर संस्थान के मानद मंत्री डाॅ. महेन्द्र सिंह राठौड़ ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान की वर्ष पर्यन्त उपलब्धियों और विकास कार्यो का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और संस्थान के विकास के लिए प्रयत्नरत रहने का संकल्प दोहराया।
इस अवसर पर प्रबन्धन संकाय का मुखपत्र (माईल स्टोन) का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया एवं दृश्य एवं कला विभाग के विद्यार्थी दिनेश बाबरिया द्वारा बनाई गई महाराणा महेन्द्र सिंह जी मेवाड़ की छवि मुख्य अतिथि को भेंट की साथ ही अन्य विद्यार्थियों द्वारा संस्थान के संस्थापकों के चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई।
इस अवसर पर विद्या प्रचारिणी सभा के कार्यकारिणी सदस्यगण उपाध्यक्ष डाॅ. जब्बर सिंह सोलंकी, डाॅ. दरियाव सिंह चुण्डावत, सयुंक्त मंत्री राजेन्द्र सिंह झाला, वितमंत्री शक्ति सिंह राणावत, ओल्ड बाॅयज एसोशिएशन के अध्यक्ष डाॅ. एकलिंग सिंह झाला, कार्यकारिणी सदस्यगण, विद्या प्रचारिणी सभा के सदयगण, ओल्ड बाॅयज एसोसिएशन के पदाधिकारी, संस्थान के वरिष्टतम सदस्य उम्मेद सिंह जी मान्यास व प्रो. देवकर्ण सिंह जी एवं सदस्यगण, संस्थान की विभिन्न इकाईयों के प्रधानगण, संकाय सदस्य, विद्यार्थीगण एवं अभिभावकगण उपस्थित थे। उपाध्यक्ष डाॅ. जब्बर सिंह सोलंकी ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
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