16वें राष्ट्रीय बाल साहित्यकार सम्मेलन के तकनिकी सत्र मैं पुस्तक समीक्षा, बाल काव्य संगोष्ठी, बाल गीत प्रतियोगिता के विजेता पुरस्कृत
सुनील कुमार मिश्रा राजस्थान उदयपुर सलिला संस्था सलूंबर एवं राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में प्रसार शिक्षा निदेशालय संभागर मै आयोजित 16वें राष्ट्रीय बाल साहित्यकार सम्मेलन के तकनिकी सत्र की अध्यक्षता राजस्थान के वरिष्ठ साहित्यकार, आईएएस अधिकारी एवं पाती लेखन मुहिम के प्रणेता डॉ. सूरज सिंह नेगी ने की।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कहा कि “आज सोशल मीडिया के प्रभाव से बच्चे मोबाइल के गुलाम होते जा रहे हैं। उन्हें आदर्श उदाहरणों की आवश्यकता है। हमें चाहिए कि मोबाइल के स्थान पर बच्चों को लिखने, बोलने और पढ़ने की ओर प्रेरित करें। बच्चों से मित्रता करें और उन्हें संस्कार का पाठ सिखाएँ। इसमें बाल साहित्य की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है।”
इस सत्र के मुख्य अतिथि इंडिया नेटबुक्स के अध्यक्ष डॉ. संजीव कुमार ने परिवार के बजट में पुस्तक क्रय हेतु विशेष फंड रखने पर बल दिया।
इस अवसर पर मीनू त्रिपाठी एवं जीशान हैदर जैदी को साहित्य रत्न सम्मान से विभूषित किया गया।
संचालन विमला नागला ने किया।
सत्र मैं बाल गीत प्रतियोगिता के टॉप-10 विजेताओं मैं से उपस्थित
यशवंत कुमार शर्मा पहुंना, डॉ. फहीम अहमद संभल नीलम मुकेश वर्मा (झुंझुनू), अनीता गंगाधर शर्मा अजमेर, बलवीर सिंह सिरसा, नीरज शास्त्री मथुरा आदि को शॉल, माला, प्रतीक-चिह्न एवं मानधन देकर सम्मानित किया गया।
सत्र के अंत में शिव नारायण आगाल ने आभार ज्ञापित किया।
पुस्तक समीक्षा सत्र की अध्यक्षता डॉ. फहीम अहमद ने की। उन्होंने परिवार की भूमिका को रेखांकित किया और अपनी दो बाल कविताएँ प्रस्तुत कीं।
मुख्य अतिथि: चक्रधर शुक्ल कानपुर ने “गीत सुहाने बचपन के” पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत की।
विशिष्ट अतिथि: शिवमोहन यादव नई दिल्ली ने “पहेली विधा का जादू” विषय पर पत्रवाचन किया तथा प्रकाश तातेड़ की पुस्तक “बूझ सहेली, मेरी पहेली” की विशेषताओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।
डॉ. सरिता गुप्ता दिल्ली ने मधु माहेश्वरी की पुस्तक “भावों की सरिता” की विशेषताओं को उजागर किया।
वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश पंचाल डूंगरपुर ने विमला भंडारी की पुस्तक “6 अंकों का जादू” की समीक्षा करते हुए इसे पिनकोड सीखने हेतु उपयोगी बताया।
इस सत्र का संचालन गीतकार शकुंतला सरूपरिया ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन धर्मेश शर्मा ने किया।
बाल काव्य संगोष्ठी की अध्यक्षता कर्नल प्रवीण त्रिपाठी ने की। मुख्य अतिथि: लाल देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव, विशिष्ट अतिथि: नंदकिशोर निर्झर एवं किरण बाला किरण रहे |
मीडिया प्रभारी प्रोफेसर विमल शर्मा ने बताया प्रांशु नामधर द्वारा रामधारी सिंह दिनकर की “रश्मिरथी” एवं महिषासुर मर्दिनी स्त्रोत की प्रस्तुति से प्रारम्भ संगोष्ठी में श्याम मठपाल, प्रकाश तातेड़, मनीला पोरवाल, पूनम भू, हेमलता दाधीच, सुनीता बिश्नोई, सपना जैन शाह, बलबीर सिंह, गंगाधर शर्मा, यशपाल शर्मा, चक्रधर शुक्ल, सरिता गुप्ता, पाखी जैन, स्नेहलता भंडारी, मंगल कुमार जैन, वीणा गौड़ आदि रचनाकारों ने अपनी विविध, रोचक एवं मनोरंजक बाल कविताओं से सभी का मन मोह लिया समापन सत्र मैं संस्था की अध्यक्ष डॉ. विमला भंडारी ने इस आयोजन को एक नया कीर्तिमान बताया। उन्होंने कहा कि दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित सात राज्यों तथा राजस्थान के 10 जिलों से साहित्यकारों एवं प्रतिभागियों ने सक्रिय उपस्थिति दर्ज कर सम्मेलन को सफल बनाया।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

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