भतीजे ने चाचा पर करवाया धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज
भतीजे ने चाचा पर करवाया धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज
पाटन।कृष्ण सैनी धांधेला
पाटन।कस्बे के जाने माने भामाशाह स्वर्गीय मदनलाल दीवान के पुत्र सुनील दीवान ने अपने सगे चाचा केदार दीवान पर धोखाधड़ी का मामला पाटन थाने में दर्ज करवाया है। मामला दर्ज होने के बाद चाचा की मुसीबतें बढ़ने लगी है। सुनील दीवान ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है की मैंने अपने चाचा केदार दीवान के हिस्से की कुल जमीन 2.79 हेक्टेयर का सौदा 25 लाख रुपए में 2008 में कर लिया था। जिसका भुगतान मेरे द्वारा 2008 में 10 लाख रुपए, 2009 में 10 लाख रुपए चैक के द्वारा कर दिया गया था।शेष रकम रजिस्ट्री करवाने पर देने की बात कही गई थी।कुल सौदा 25 लाख रुपए का हुआ,20 लाख रुपए दे दिए गए थे शेष रजिस्ट्री होने पर मुझे 5 लाख रुपए देने थे। बिना दबाव के चाचा और मेरे बीच में यह सौदा तय हुआ था जिसकी सम्पूर्ण जानकारी चाचा और चाचा के परिजनों को भी थी। मैंने चाचा को 20 लाख रुपये की राशी चेक के द्वारा दी थी, परंतु चाचा ने ना तो रजिस्ट्री करवाई और ना ही मुझे मेरी रकम लौटाई, जबकि उपरोक्त सौदे का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट हुआ था। इस बारे में मैं केदार दीवान को कई बार रजिस्ट्री करवाने के लिए कहा परंतु वह हमेशा टालम टोल करते रहे, दूसरी तरफ केदार दीवान मेरा सगा चाचा है उनकी इज्जत रखने के लिए मैं काफी वर्षों तक रुका रहा। काफी वर्ष बीत जाने के बाद और केदार दीवान बार-बार टालम टोल करने पर मेरे समझ में आया की केदार दीवान के मन में बेईमानी आ गई है, और मेरे पक्ष में रजिस्ट्री नहीं करवाना चाहते हैं। मेरा चाचा जमीन को अन्य लोगों को बेचने की कोशिश कर रहा था, इस पर मैंने 2020 में दिवाली के बाद इकरारनामे की निर्दिष्ट अनुपालना के लिए माननीय न्यायालय अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश नीमकाथाना में पेश किया। माननीय न्यायालय ने मेरे पक्ष में स्टे (अस्थाई निषेधाज्ञा )आदेश किया। मुकदमे की जानकारी गांव वालों और आसपास के गांव के लोगों को भी थी। 25 जनवरी 2024 को माननीय न्यायालय ने मेरे वाद को खारिज कर दिया, जिसकी अपील मेरे द्वारा उच्च न्यायालय जयपुर में प्रस्तुत की गई, जो माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। मेरे चाचा केदार दीवान इस तथ्य से भली भांति जानकारी रखते हैं, इसके बावजूद भी बेईमानी की नीयत से उक्त जमीन का केस (अपील) माननीय उच्च न्यायालय में लंबित होते हुए केदार दीवान ने षड्यंत्र पूर्वक एवं आनन फानन में अपने हिस्से की कुल जमीन 2.79 हेक्टेयर में से 101 ऐयर जमीन जिसका खसरा नंबर 544, 545, 547, 548, 550, 552, 553, 554 में से कुल रकबा 101 ऐयर जमीन 16 लाख रुपए में कृष्ण कुमार गुर्जर पुत्र ग्यारसी लाल गुर्जर निवासी पांचू खरकड़ा को विक्रय कर रजिस्ट्री करवा दी तथा एक ही दिन में उक्त भूमि का नामांतरण भी खुलवा दिया। यह सारा कार्य एक षड़यंत्र पूर्वक साजिश के द्वारा हुआ है। मेरे चाचा केदार दीवान को संपूर्ण जानकारी होते हुए भी कि उपरोक्त जमीन का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट मेरे द्वारा लिखा गया है उसके बावजूद भी 6 मार्च को रजिस्ट्री करवा कर रकम प्राप्त कर ली, जो स्पष्ट रूप से धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है। रजिस्ट्री में केदार दीवान ने लिखा है कि उपरोक्त भूमि का काबिज खातेदार काश्तकार हूं यह भूमि सभी प्रकार के ऋण, भारों से मुक्त है, किसी दिगर व्यक्ति जन साधारण या वित्तीय संस्था में रहन व विक्रय नहीं है। इसलिए उन्हें यह जमीन बेचने का अधिकार प्राप्त है, यह मिथ्या तथ्य केदार दीवान ने अपनी रजिस्ट्री में लिखकर कूट रचित मिथ्या दस्तावेज की रचना की है, क्योंकि केदार दीवान 2009 के बाद इस जमीन पर काबिज नहीं थे, 2009 में लिखे गए इकरारनामा के समय से ही जमीन का कब्जा मेरे पास था। केदार दीवान ने तहसीलदार (उप पंजीयक) हल्का पटवारी वगैरा से मिलकर तथ्य छुपा कर एवं गलत तथ्य अंकित कर पूर्व में विक्रित जमीन को दोबारा बेचकर मेरे को सदोष हानी व स्वयं को सदोष लाभ प्राप्त किया है। केदार दीवान ने शेष बची जमीन 0.167 हेक्टर का भी एग्रीमेंट लिख दिया है, तथा उसमें से भी कुछ रकम ले ली है। बाकी रकम रजिस्ट्री करवाने की बात कही गई है। पुलिस ने जुर्म धारा 420, 406, 467, 468, 471, 120 बी के अंतर्गत प्रकरण दर्ज कर लिया है जिसकी जांच नेकीराम थानाधिकारी कर रहे हैं।
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