देशभर में कहाँ सहकारी समितियाँ कम है, उस गैप की पहचान कर सहकारिता के विस्तार में मददगार साबित होगा राष्ट्रीय डेटाबेस केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह

 देशभर में कहाँ सहकारी समितियाँ कम है, उस गैप की पहचान कर सहकारिता के विस्तार में मददगार साबित होगा राष्ट्रीय डेटाबेस केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह



उदयपुर। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह यह मानते हैं कि, देशभर में कहाँ सहकारी समितियाँ कम है, उस गैप की पहचान कर सहकारिता के विस्तार में मददगार साबित होगा राष्ट्रीय डेटाबेस। अमित शाह ने कहा कि देश के हर पंचायत में एक पैक्स होगा इसलिए राष्ट्रीय डेटाबेस का निर्माण किया गया है। पॉलिसी मेकर्स, रिसर्चर्स और स्टेकहोल्डर के लिए अमूल्य संसाधन का काम करने वाला राष्ट्रीय डेटाबेस सहकारिता क्षेत्र के विकास को कंपास की तरह दिशा दिखाएगा। दरअसल यह डेटाबेस भारत की पूरी सहकारिता गतिविधियों की जन्मकुंडली है, जिसे अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से बनाया गया है। डेटाबेस पोर्टल के माध्यम से छोटी सहकारी संस्थाएं अपने विस्तार के लिए मार्गदर्शन प्राप्त कर सकेंगी। डेटाबेस में पैक्स से एपैक्स, गाँव से शहर, मंडी से ग्लोबल मार्केट और स्टेट से अंतर्राष्ट्रीय डेटाबेस तक जोड़ने की पूरी संभावना मौजूद है। जियोग्राफ्किल असंतुलन, एक्रोस सेक्टर असंतुलन, एक्रोस कम्युनिटी असंतुलन और फंक्शनल असंतुलन इन चारों समस्या का समाधान इस डेटाबेस के अंदर टूल के साथ बारीकी से डाला हुआ है। सहकारिता क्षेत्र के उत्थान को देखते हुए ऐसा लगता है कि मोदी के सहकार से समृद्धि, डिजिटल से डेवलपमेंट और डेटाबेस से लक्ष्यों की डिलीवरी को सहकारिता ही सिद्ध करेगा। आज अमृतकाल में 8 लाख से ज्यादा समितियाँ पंजीकृत हैं और 30 करोड़ से ज्यादा नागरिक इन समितियों के साथ जुड़े हुए हैं।

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