वेद ईश्वरीय ज्ञान है- स्वामी विवेकानंद परिव्राजक
वेद ईश्वरीय ज्ञान है- स्वामी विवेकानंद परिव्राजक
उदयपुर। वेद ईश्वरीय ज्ञान है। ईश्वर ने सृष्टि की रचना की और आत्माओं के कल्याणार्थ उपभोग की वस्तुएं दी और ज्ञान प्राप्ति के लिए वेद दिये। यह विचार आर्य समाज हिरण मगरी द्वारा निम्बार्क कॉलेज सभागार में आयोजित सत्य सनातन वैदिक धर्म सभा में दर्शनाचार्य पुज्य स्वामी विवेकानंद परिव्राजक ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। आपने अपने उद्बोधन में आगे कहा कि ईश्वर, आत्मा और प्रकृति अनादि है। इन तीनो का सही सही ज्ञान होना इन्हे सही समझना और आचरण में लेने से मनुष्य सुखी प्रसन्न रह सकता है और दूसरों को भी प्रसन्नता सुख दे सकता है। सामान्य ज्ञान मे आत्मा को ईश्वर का अंश मानते है यह गलत है। ईश्वर आत्मा दोनों अलग अलग है। न्याय दर्शन के अनुसार 54 प्रकार की गलतियां मनुष्य करता है। इन गलतियों को देखकर मनुष्य को सुधार करना चाहिए।
इस धर्म सभा में महंत रासबिहारी शरण शास्त्री, एड.निर्मल पंडित, भरत जोशी, लालचन्द जी मुम्बई, के. पी . सिंह आदि का सान्निध्य प्राप्त हुआ। नरेश शर्मा, मुरली धर राठी, बलराम चौहान , सुरेश चौहान आदि ने अतिथियों का स्वागत किया।
प्रात: हिरण मगरी आर्य समाज दयानन्द कन्या विद्यालय में छात्राओं को स्वामी विवेकानंद जी संबोधित किया।
दिनांक 24 फरवरी, 24 को प्रात 7. 30 बजे आर्यसमाज हिरण मगरी एवं शाम 5 बजे निम्बार्क कॉलेज सभागार में सत्य सनातन वैदिक धर्म सभा होगी।
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