ऋण डिफाल्टरों एवं गारंटरों पर केन्द्र सरकार द्वारा कार्यवाही का अभाव, डिफाल्टरों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि - सांसद नीरज डाँगी

 ऋण डिफाल्टरों एवं गारंटरों पर केन्द्र सरकार द्वारा कार्यवाही का अभाव, डिफाल्टरों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि - सांसद नीरज डाँगी



आबूरोड सिरोही। राज्यसभा सांसद श्री नीरज डाँगी ने शीतकालीन सत्र में सदन में बोलते हुए केन्द्र सरकार द्वारा वितरित विभिन्न ऋणों के डिफाल्टरों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को आड़े हाथों लेते हुए केन्द्र सरकार के प्रयासों को नाकाफी बताया, जिसके कारण डिफाल्टरों में बेतहाशा वृद्धि हुई है तथा इससे देश की आर्थिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। उन्होंने ऋण डिफाल्टरों एवं ऋण गारंटरों पर तत्काल कार्यवाही कर वसूली पर जोर दिया। सांसद डाँगी ने सदन में वित्त मंत्री से पूछे गये तारांकित प्रश्न में बीते दो वर्षों के दौरान सरकार द्वारा दिया गया ऋण नहीं चुकाने वाले लोगों (डिफाल्टरों) की संख्या का बैंक-वार ब्यौरा मांगते हुए डिफाल्टरों पर की गई कार्यवाही का विवरण चाहा, जिस पर उन्होंने पिछले दो वित्तीय वर्ष में एससीबी खातों में 22.9 प्रतिशत एवं वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1.78 प्रतिशत गिरावट से सदन को अवगत कराया। ऋणों के पुनर्भुगतान न किये जाने के मामले में मौजूदा विधिक प्रावधानों जैसे सरफेसी अधिनियम 2002, दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 आदि के अंतर्गत गारंटीदाताओं के विरूद्ध कार्यवाही आरंभ की जा सकती है से सदन को अवगत कराया परन्तु यह नहीं बताया कि अब तक कितने डिफाल्टरों एवं गारंटरों पर कार्यवाही अमल में लाई गई सांसद डाँगी के प्रश्न के प्रत्युत्तर में वित्त मंत्री ने बताया कि पिछले दो वर्षों में एससीबी में एनपीए खाते 2.19 लाख करोड़ रुपये के थे, जो वित्तीय वर्ष 2021-22 में बढ़कर 2.86 लाख करोड़ रुपये हो गये। इसी प्रकार गत वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह 2.13 लाख करोड रुपये दर्शाया गया है। सांसद डाँगी ने सदन में इसे देश की आर्थिक स्थिति के लिये बड़ा खतरा बताया और ऋण डिफाल्टरों एवं ऋण गारंटरों पर तत्काल कार्यवाही कर वसूली की कार्यवाही अमल में लाये जाने पर जोर दिया।

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