सभी रोगों में लाभदायक है अपराजिता।

 सभी रोगों में लाभदायक है अपराजिता।






अपराजिता आयुर्वेद के प्राचीन विज्ञान में एक लंबा इतिहास रखने वाली औषधीय जड़ी बूटी है। आयुर्वेद के पारंपरिक ग्रंथों में इसके कई चिकित्सीय लाभों को अच्छी से दर्शाया गया है। यह अपने शीतलता, शांति और ऐंठन-रोधी गुणों के लिए प्रसिद्ध है। पाचन समस्याओं से लेकर श्वसन संबंधी बीमारियों तक अनेक तरह रोगों के इलाज के लिए आयुर्वेद में इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग चिंता व अवसाद को कम करने के लिए भी किया जाता है। अपराजिता की जड़ों, पत्तियों और फूलों का उपयोग विभिन्न चिकित्सा व्याधियों के इलाज के लिए विभिन्न रूपों में किया जाता है। सदियों से, अपराजिता का उपयोग भारत में इसके औषधीय गुणों के कारण किया जाता रहा है। इसके फूल एक प्राचीन और शक्तिशाली औषधीय जड़ी बूटी है जिसका उपयोग सदियों से किया जाता रहा है। यह विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सीडेंट तथा आवश्यक फैटी एसिड से भरपूर है यह संज्ञानात्मक कार्य को बेहतर बनाने, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने, त्वचा को बेहतर बनाने, हृदय की रक्षा करने, पाचन तंत्र को बेहतर बनाने और प्रजनन तंत्र को बेहतर बनाने में सहायक है। यह वास्तव में प्रकृति का एक अनुपम उपहार व मानव जाति के लिए प्रकृति की एक बहुमूल्य भेंट है। यह अपने उपचार गुणों के कारण एक सार्वभौमिक औषधि के रूप में जानी जाती है 

श्री भगवानदास तोदी महाविद्यालय के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जितेन्द्र कांटिया ने बताया कि अपराजिता का उपयोग विभिन्न प्रकार की चिकित्सा जैसे शारीरिक और मानसिक दोनों में किया जाता हैं इसलिए यह एक प्राचीन भारतीय औषधीय जड़ी बूटी है। इसका वानस्पतिक नाम क्लाइटोरिया टर्नेटिया है। इसका उपयोग मुख्य रूप से मस्तिष्क टॉनिक के रूप में किया जाता है। यह फैबेसी कुल का पादप है। यह बगीचों और घरों में शोभाकरी पादप के रूप में लगाया जाने वाला पौधा है। इसे आयुर्वेद में विष्णुक्रांता, गोकर्णी आदि नामों से जाना जाता है। आयुर्वेद में सफेद और नीले रंग के फूलों वाली अपराजिता के पौधों को बहुत ही गुणकारी बताया गया है अपराजिता के पंचांग का महिला, पुरुष, बच्‍चों और बुजुर्गों सभी के रोगों के उपचार के लिए बहुत ही उपयोगी माना गया है। इसका असाध्‍य रोगों पर विजय पाने की इसकी क्षमता के कारण ही इसे अपराजिता नाम से जाना गया है। अपराजिता का पौधा झाड़ीदार और कोमल होता है। इस पर फूल विशेषकर वर्षा ऋतु में आते हैं। इसके फूलों का आकार गाय के कान की तरह होता है, इसलिए इसको गोकर्णी भी कहते हैं इसे अन्य अनेक नामो से भी जाना जाता है जैसे अपराजिता, कोयल, कालीजार

अंग्रेजी में बटरफ्लाई पी, ब्लू पी, पिजन विंग्स तथा संस्कृत में गोकर्णी, गिरिकर्णी, योनिपुष्पा, विष्णुक्रान्ता, अपराजिता आदि। 

डॉ. कांटिया ने बताया कि अपराजिता की फली, बीज और जड़ को बराबर भाग में लेकर जल के साथ पीस लें। इसकी बूंध नाक में लेने से आधासीसी (अर्धावभेदक) में लाभ होता है। इसकी जड़ को कान में बांधने से भी लाभ होता है। सफेद अपराजिता तथा पुनर्नवा की जड़ की पेस्‍ट में बराबर भाग में जौ का चूर्ण मिलाकर अच्छी तरह से घोंट लें। अब इसकी बाती बनाकर सुखा लें। इस बाती को पानी से घिसकर अंजन (आंखों में लगाने) करने से आंखों से जुड़ी सभी बीमारियों का उपचार होता है। इसके पत्‍तों के रस को सुखाकर गर्म कर लें। इसे कानों के चारों तरफ लेप करने से कान के दर्द में आराम मिलता है। इसकी जड़ की पेस्‍ट तैयार करके इसमें कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर मुंह में रखने पर दांत दर्द में बहुत ही आराम मिलता है दस ग्राम अपराजिता के पत्‍ते को पांच सौ मिलीलीटर पानी में पकायें। इसका आधा भाग शेष रहने पर इसे छानकर तैयार काढ़े से गरारा करने पर टांसिल, गले के घाव में आराम मिलता है। गला खराश व आवाज में बदलाव को ठीक करने में इस काढ़े से गराना करना उपयोगी होता है। सफेद फूल वाले अपराजिता की जड़ की पेस्‍ट में घी या गोमूत्र मिलाकर सेवन करने से गले के रोग (गलगण्ड) में लाभ होता है। सफेद फूल वाले अपरजिता की जड़ को घृतकुमारी या एलोवेरा के रेशों में पिरोकर हाथ में बांधें। इससे हाल ही में हुआ गण्डमाला ठीक होता होता है। एक ग्राम सफेद अपराजिता की जड़ को पीसकर सुबह सुबह पीने से तथा चिकना भोजन करने से गलगण्ड में लाभ होता है। इसकी जड़ के चूर्ण को गाय के दूध या गाय के घी के साथ खाने से अपच की समस्या, पेट में जलन आदि में शीघ्र लाभ होता है। इसकी जड़ का शर्बत बनाकर इसे थोड़ा-थोड़ा पीने से खांसी, श्वास रोगों की दिक्‍कत और बालकों की कुक्कुर खांसी में लाभ होता है। आधा ग्राम अपराजिता के भुने हुए बीज का चूर्ण बनाकर उसे आंच पर भून लें या एक या दो बीजों को आग पर भूनकर उसे बकरी के दूध या घी के साथ दिन में दो बार सेवन करने से जलोदर (पेट में पानी भरने की समस्या), अफारा (पेट की गैस), कामला (पीलिया), तथा पेट दर्द में शीघ्र आराम मिलता है। इसकी जड़ को दूसरी रेचक और पेशाब बढ़ाने वाले औषधियों के साथ मिलाकर तिल्‍ली विकार (प्लीहा वृद्धि), अफारा (पेट की गैस) तथा पेशाब के रास्‍ते में होने वाली जलन आदि रोग ठीक किया जाता हैं। तीन से छः ग्राम अपराजिता की के चूर्ण को छाछ के साथ मिलाकर लेने से पीलिया रोग में लाभ होता है। इसकी जड़ के चूर्ण को चावलों के पानी के साथ पीसकर व छानकर कुछ दिन सुबह और शाम पीने से मूत्राशय की पथरी टूट कर निकल जाती है। इसके बीजों को पीसकर उसका गुनगुना लेप अण्डकोष की सूजन के उपचार में उपयोगी होता है। एक से दो ग्राम सफेद अपराजिता की छाल या पत्‍तों को बकरी के दूध में पीसकर छान कर व शहद में मिलाकर पिलाने से गर्भपात की समस्या में लाभ होता है। तीन से छः ग्राम अपराजिता की जड़ की छाल, डेढ़ ग्राम शीतल चीनी तथा एक नग काली मिर्च लेंकर इन तीनों को पानी के साथ पीसकर छान लें तथा सुबह-सुबह सात दिन तक इसका उपयोग करने से सुजाक रोग में राहत मिलती है साथ ही इसके पंचांग (फल, फूल, पत्‍ता, तना और जड़) के काढ़े में रोगी को बिठाएं। जिससे सुजाक व लिंग संबंधी समस्या ठीक होती है। इसके पत्‍तों को पीसकर जोड़ों पर लगाने से गठिया रोग में आराम मिलता है। साथ ही एक से दो ग्राम अपराजिता की जड़ के चूर्ण को गर्म पानी या दूध के साथ मिलाकर दिन में दो या तीन बार सेवन करने से गठिया रोगी को फायदा होता है। दस से बीस ग्राम अपराजिता की जड़ को थोड़े पानी के साथ मिलाकर पीस लें तथा इसके बाद इसे गर्म कर लेप करें। साथ ही आठ से दस पत्तों के पेस्‍ट की पोटली बनाकर सेंकने से फाइलेरिया या फीलपांव तथा नारु रोग में फायदा होता है। सफेद अपराजिता की जड़ को ठंडे पानी के साथ घिसकर प्रभावित स्थान पर लेप करने से एक माह में ही सफेद दाग समाप्त हो जाते है। इसी प्रकार दो भाग अपराजिता की जड़ तथा एक भाग चक्रमर्द की जड़ को पानी के साथ पीसकर, लेप करने से सफेद कुष्ठ में लाभ होता है इसके साथ ही अपराजिता के बीजों को घी में भूनकर सुबह शाम पानी के साथ सेवन करने से डेढ़-दो महीने में ही सफेद कुष्ठ समाप्त हो जाता है। इसकी जड़ की राख या भस्म को मक्खन में घिसकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की झाइयां दूर हो जाती है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पुलिस पाटन द्वारा हथियार की नोक पर वाहन लूट करवाने वाला अंतर्राज्यीय गैंग का सरगना गिरफ्तार

अतिरिक्त जिला कलेक्टर नीमकाथाना भागीरथ साख के औचक निरीक्षण में कर्मचारी नदारद पाए गए* *सीसीए नियमों के तहत होगी कार्रवाई*

आमेर तहसीलदार ने बिलोंची गाँव की खसरा न, 401 से लेकर खसरा न, 587 तक की जमीन की , जमाबंदी के खातेदार 12 व्यक्तियों में से चार व्यक्तियों के नाम मिली भगत कर , सुविधा शुल्क वसूलकर नियम विरूद्ध तकासनामा खोल दिया गया आठ खातेदारों का विरोध तकासनामा निरस्त करने की मांग