झोटवाड़ा की लक्ष्मण रेखा सोसाइटी में नारकीय हालात, 5 साल से प्रशासन मौन 2000 लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर, बरसात में महामारी फैलने का खतरा






 झोटवाड़ा की लक्ष्मण रेखा सोसाइटी में नारकीय हालात, 5 साल से प्रशासन मौन

2000 लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर, बरसात में महामारी फैलने का खतरा



जयपुर। झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के वार्ड नंबर 19 स्थित लक्ष्मण रेखा सोसाइटी इन दिनों नारकीय हालात से गुजर रही है। लगभग 500 से 700 फ्लैट्स वाली इस सोसाइटी में करीब 2000 लोग रहते हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव और नगर निगम की अनदेखी ने उनकी ज़िंदगी को मुश्किल बना दिया है। सोसाइटी की गलियों में जगह-जगह गहरे गड्ढे हैं, जो हादसों को न्योता दे रहे हैं।


स्थानीय निवासियों का कहना है कि बारिश शुरू होते ही हालात और खराब हो जाते हैं। सिविल लाइन से निकलने वाला गंदा पानी सोसाइटी में भर जाता है और यह पानी टैंकों तक पहुंच जाता है, जिससे पीने का पानी भी दूषित हो रहा है।


हर दरवाज़ा खटखटाया, पर सुनवाई नहीं

पिछले पांच वर्षों में लोगों ने नगर निगम से लेकर विधायक और सांसद तक हर स्तर पर गुहार लगाई, लेकिन कोई हल नहीं निकला। वार्ड पार्षद बाबूलाल, पूर्व विधायक नरपत सिंह और वर्तमान सांसद दिया कुमारी को भी कई बार ज्ञापन सौंपे गए। बावजूद इसके, समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।


181 पर 250 से अधिक शिकायतें, फाउंडेशन ने लोगों को जोड़ा

सोमवार को 'हमारी बड़ी मां फाउंडेशन' की पहल पर करीब 200 से 250 लोगों ने मिलकर 181 हेल्पलाइन पर कॉल कर प्रशासन को जगाने की कोशिश की। लोगों का कहना है कि अब वे चुप नहीं बैठेंगे और यदि ज़रूरत पड़ी तो सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे।


कचरे का नहीं, मौत के गड्ढों का ढेर

सोसाइटी में जगह-जगह गहरे गड्ढे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि सुरक्षा के लिए इन गड्ढों को कचरे और लकड़ियों से ढकने की कोशिश की गई है, ताकि बच्चे या बुजुर्ग गिरकर घायल न हो जाएं। लेकिन यह केवल अस्थायी उपाय है।


“अगर महामारी फैली तो जिम्मेदारी कौन लेगा?”

एक शिक्षिका, जो सोसाइटी में ही रहती हैं, कहती हैं कि सिविल का गंदा पानी जब पीने के टैंकों में मिल जाता है, तो महामारी फैलने का बड़ा खतरा बनता है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन किसी अनहोनी का इंतज़ार कर रहा है?


प्रशासन की आंखें कब खुलेंगी?

लोगों की मांग है कि नगर निगम तत्काल कार्रवाई करे—सड़कें ठीक करवाई जाएं, जल निकासी की व्यवस्था की जाए और गंदे पानी के प्रवाह को रोका जाए। सवाल यह भी है कि क्या प्रशासन सिर्फ चुनाव के समय ही यहां कदम रखेगा?



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