सांपों को दूर भगाता है गरुड़ वृक्ष।
सांपों को दूर भगाता है गरुड़ वृक्ष।
गरुड़ वृक्ष एक ऐसा पेड़ है जिसके कई औषधीय उपयोग हैं, जिसमें त्वचा रोग, घाव और साँप के काटने का उपचार आदि शामिल है। इसकी जड़ें, पत्तियाँ और फल सभी का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में विभिन्न बीमारियों के उपचार में किया जाता है। गरुड़ वृक्ष एक ऐसा पेड़ हैं जिसके बारे में यह माना जाता हैं कि यह सांपों को दूर रखता हैं।
श्री भगवानदास तोदी महाविद्यालय के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कांटिया ने बताया कि गरुड़ वृक्ष का वानस्पतिक नाम रेडरमेचेरा ज़ाइलोकार्पा है यह बिग्नोनियासी कुल का सदस्य है। यह भारत में स्थानिक पादप है । इसमें स्टेगमास्टेरोल, सिटोस्टेरोल, कोलेस्ट्रॉल आदि जैसे स्टेरॉयड यौगिक पाए जाते हैं इस पादप के फलो में औषधीय गुण पाये जाते हैं। यह पेड़ भारत के कई राज्यों में पाया जाता हैं, खासकर पहाड़ी इलाकों में। इस वृक्ष को गरुड़ संजीवनी, खडशिंगी और नागदौन आदि नामों से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह माना जाता हैं कि गरुड़ वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते हैं और इसके फल को घर के दरवाजों पर लगाने से सांपों से सुरक्षा मिलती हैं। इसकी लकड़ी में यह विशेषता हैं कि यदि सांप के पास इसे रख दिया जाए, तो सांप सुस्त पड़ जाता हैं। इस वृक्ष का उपयोग सांप के जहर को निष्क्रिय करने और जहर के प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता हैं। इसमें एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो घाव भरने में सहायक होते हैं। इस वृक्ष के फल और बीज में औषधीय गुण होते हैं, कुछ लोग इसका उपयोग हीट स्ट्रोक, डिसुरिया, अनियमित मासिक धर्म और पीलिया के उपचार के लिए करते हैं। इनके अलावा यह वृक्ष पाचन समस्याओं, मूत्र विकारों, बुखार, सिरदर्द, पेचिश, दस्त, सर्दी, खांसी, बवासीर, सूजन और सामान्य दुर्बलता आदि के उपचार में भी इस्तेमाल किया जाता है। यह वृक्ष मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, हिमाचल एवं तमिलनाडु के पहाड़ी इलाकों के घने जंगलों में कहीं-कहीं पाया जाता हैं। इस पौधे का अत्याधिक दोहन होने के कारण यह विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गया हैं अतः गरुड़ वृक्ष को संरक्षित करने की आवश्यकता हैं
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