तम्बाकू छोड़ो, जीवन जोड़ो’’, ‘‘हर सांस जरूरी है-तंबाकू से दूरी है’’ विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया, स्वास्थ्य संस्थाओं में विशेष अभियान प्रारम्भ
‘‘तम्बाकू छोड़ो, जीवन जोड़ो’’, ‘‘हर सांस जरूरी है-तंबाकू से दूरी है’’
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया, स्वास्थ्य संस्थाओं में विशेष अभियान प्रारम्भ
तम्बाकू सेवन के दुष्प्रभाव, कोटपा एक्ट 2003 और ई-सिगरेट एक्ट 2019 की दी जानकारी
कोटपूतली।जिले में शनिवार 31 मई 2025 को विष्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया गया। इस मौके पर सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में विशेष अभियान प्रारम्भ किया गया। साथ ही तम्बाकू सेवन के दुष्प्रभाव, कोटपा एक्ट 2003 और ई-सिगरेट एक्ट 2019 की जानकारी दी गई। सीएमएचओ डॉ. आषीष सिंह शेखावत ने जानकारी देते हुये बताया कि हर साल 31 मई को विष्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को तम्बाकू सेवन के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करना और उन्हें तम्बाकू छोड़ने के लिए प्रेरित करना है। डॉ. शेखावत ने बताया कि विष्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 1987 में तम्बाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों और मौतों पर लगाम लगाने के लिये इस दिन की शुरुआत की थी। पहली बार 31 मई 1988 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तम्बाकू निषेध दिवस मनाया गया। इसके बाद से हर साल यह दिन वैष्विक स्तर पर मनाया जाने लगा। उन्होंने बताया कि इस वर्ष का उद्देश्य यह है कि उन तरकीबों का खुलासा किया जाये, जिनका इस्तेमाल तम्बाकू और निकोटीन उद्योग अपने हानिकारक उत्पादों को आकर्षक बनाने के लिये करते है। वर्तमान में युवाओं में तम्बाकू और निकोटीन उत्पादों के प्रति आकर्षण सार्वजनिक स्वास्थ्य की एक बड़ी समस्या बन गई है। उद्योग ऐसे उत्पादों को आकर्षक बनाने के लिये स्वाद और महक बेहतर बनाने के लिये एडिटिव्स का उपयोग करते हैं, जिससे युवाओं का रुझान बढ़ता है और वे नशे के शिकार हो जाते हैं। साथ ही बाजार में तम्बाकू को भव्य तरीके से पेश किया गया है। भारत में तंबाकू और धूम्रपान के कारण हर साल लगभग 12 लाख लोगों की मौत होती है और इससे 25 तरह की बीमारियाँ और लगभग 40 प्रकार के कैंसर हो सकते हैं। जिनमें मुँह, गला, फेफड़े, प्रोस्टेट, पेट का कैंसर और ब्रेन टयूमर शामिल हैं। इसके अलावा ब्रॉन्काइटिस, एसिडिटी, टीबी, हार्ट अटैक, नपुंसकता, माइग्रेन, सिरदर्द जैसी समस्यायें होती हैं। गर्भावस्था में धूम्रपान करने से कम वजन के नवजात, गर्भस्थ की मृत्यु, या जन्मजात बीमारियों का खतरा बढ़ता है। भारत सरकार ने तम्बाकू के दुष्प्रभावों को देखते हुए सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) 2003 लागू किया है, जिसमें तंबाकू के प्रचार, खरीद और बिक्री पर सख्ती से रोक लगाई गई है। अधिनियम के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने पर 200 रुपये का जुर्माना है। 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों को तंबाकू बेचना, तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन और शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज की दूरी में तंबाकू बेचना पूरी तरह से निषिद्ध है। साथ ही तंबाकू उत्पादों पर चित्रमय स्वास्थ्य चेतावनी अनिवार्य है। जब कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है तो बीड़ी या सिगरेट का धुंआ पीने वाले के फेफड़ों में 30þ और आसपास के वायुमंडल में 70þ रह जाता है, जिससे परिवार और दोस्तों पर प्रभाव पड़ता है, जिसे हम परोक्ष धूम्रपान कहते हैं। पुरुष, महिलाओं की तुलना में कम उम्र में तंबाकू का सेवन शुरू करते हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एण्ड प्रिवेंशन के अनुसार सामान्यतः धूम्रपान करने वालों की मृत्यु गैर-धूम्रपान करने वालों के मुकाबले 10 साल पहले होती है। सिगरेट के मुकाबले बीड़ी का सेवन अधिक हानिकारक होता है। बीड़ी में निकोटीन की मात्रा कम होने के कारण इसके सेवन के आदि लोगों को बार-बार इसकी आवश्यकता होती है।
तम्बाकू निषेध दिवस का महत्व :- तम्बाकू से हर साल दुनिया भर में 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है। यह दिन तम्बाकू और उससे जुड़ी बीमारियों जैसे कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक, फेफड़ों संबंधित बीमारियां आदि के खतरे के बारे में जागरूकता फैलाना है। खासकर युवाओं और बच्चों को तंबाकू से दूर रहने का संदेश देता है।
तम्बाकू के सेवन से नुकसान :- तम्बाकू के सेवन से फेफड़ों, मुंह, गले, पेट आदि का कैंसर होने की आशंका रहती है। दिल की बीमारियां हो सकती हैं, सांस की समस्या हो सकती है, तम्बाकू के सेवन से पुरुषों और महिलाओं में प्रजनन समस्यायं हो सकती हैं, समय से पहले मौत का खतरा रहता है।
तम्बाकू और धूम्रपान छोड़ने के लाभ :- धूम्रपान को छोड़ने के 08 घंटे बाद शरीर में निकोटीन और कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर आधा हो जाता है, जिससे रक्त में ऑक्सीजन का प्रवाह सामान्य बन जाता है। जैसे-जैसे निकोटीन की मात्रा घटती है, शरीर को हल्का अनुभव होने लगता है। धूम्रपान को छोड़ने के 24 घंटे बाद कार्बन मोनोऑक्साइड पूरी तरह से समाप्त हो जाती है और रक्त में ऑक्सीजन का स्तर सामान्य हो जाता है, जिससे हृदयाघात का खतरा कम हो जाता है। 48 घंटे बाद निकोटीन शरीर से पूरी तरह समाप्त हो जाता है, टेस्ट बड्स सक्रिय होने लगती हैं और खाने का स्वाद बेहतर महसूस होता है। सुंघने की शक्ति भी बढ़ने लगती है। एक महीने बाद चेहरे की रंगत में सुधार होना शुरू हो जाता है, त्वचा का धुंधलापन और झुर्रियाँ कम होने लगती हैं। खांसी और कफ में भी कमी आने लगती है। 03 से 09 महीने के भीतर, खांसी, घरघराहट और सांस लेने में कठिनाई में महत्वपूर्ण सुधार आता है, इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और संक्रमण से मुकाबला करने की क्षमता बढ़ जाती है। 05 साल बाद हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा घट जाता है। धूम्रपान छोड़ने के 10 वर्ष बाद फेफड़ों के कैंसर का जोखिम आधा हो जाता है। साथ ही मुंह, गला, ग्रासनली, मूत्राशय और अग्न्याशय के कैंसर का खतरा भी काफी कम हो जाता है।
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