नीमकाथाना में निराश्रित गोवंश की दुर्दशा
नीमकाथाना में निराश्रित गोवंश की दुर्दशा
। नीमकाथाना में निराश्रित गोवंश हेतु यहां के उद्योगपति भामाशाह वह अन्य व्यापारीगण और नीमकाथाना शहर के गो प्रेमी गोवंश के प्रति निष्ठा भाव रखते हैं। लेकिन वह सिर्फ एक ही दिन का होता है ❓। दिखास और छपास ।।।जबकि गौ माता को हम मनुष्यों की तरह भूख रोजाना ही लगती है।। उसकी तरफ इनका ध्यान नहीं जाता 😋 उल्लेखनीय यह है कि आए दिन यूट्यूब पर और प्रिंट मीडिया के माध्यम से यह समाचार मिलते रहते हैं। कि गोयल परिवार ने ₹100000 की गोचरी कराई। या किसी अन्य भामाशाह ने 2 लाख की गोचरी कराई किसी ने 5 लाख की कराई, किसी ने गौशाला में इतने लाखों रुपए दान दिए। इतना कुछ होने के बावजूद और राज्य सरकार द्वारा जो इन्हें अनुदान दिया जाता है ।।वह भी आ जाता है, इनके पास उसके उपरांत भी नीम का थाना में निराश्रित गोवंश दर-दर की ठोकरें खा रहा है। और उन्हें सुबह से लेकर शाम तक लाठियां ही खाने को मिलती है। जबकि ने इन्हें क्या चाहिए, सिर्फ एक सूखा गेहूं या बाजरे का चारा☑️ ।।।गौशालाओं वाले तो गोवंश के नाम पर आए हुए अनुदान को न जाने किस तरीके से हजम कर जाते हैं । निराश्रित गोवंश यूं ही अखाद्य वस्तुएं जैसे प्लास्टिक का कचरा, अन्य नुकीली चीजजो शहरवासी कचरें की गाड़ी में न फेंककर मनमाफिक इधर उधर फेंक देते हैं उसे भूखा मरता गोवंश खाकर असमय ही मौत के मुंह में चले जाते हैं। यह बहुत ही शर्मनाक और मानवता के लिए दुर्भाग्य है।।।कि और तो और नगर परिषद नीम का थाना भी हर वर्ष कम से कम 8 _10 लख रुपए का वार्षिक टेंडर निकलते हैं। जिसमें नीम का थाना शहर के निराश्रित गोवंश को पकड़ कर किसी अनंयंत्र गौशाला में या दूर जंगल में छोड़ने का ठेकेदार के द्वारा कार्य करना अनिवार्य है। ।लेकिन ठेकेदार की जुगलबंदी होने से वह वह ठेकेदार पूरे 1 वर्ष में मात्र एक बार, मंडी में एक या दो बैलों व गायों को पड़कर उनके वीडियो व फोटो अपडेट कर नगर परिषद कार्यालय में जाकर अधिकारी महोदय को दिखा देते हैं। और उनका जुगलबंदी से पूरे वर्ष का टेंडर की राशि को बांट लिया जाता है। गोवंश जायें भाड़ में इन्हें उससे कोई मतलब नहीं है⁉️⁉️⁉️ इनके पॉकेट मनी आनी चाहिए।☑️
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