दूसरे दिन ‘कला चर्चा’ में विशेषज्ञों ने की चर्चा, कहा - कला आत्मसंतुष्टि का विषय
दूसरे दिन ‘कला चर्चा’ में विशेषज्ञों ने की चर्चा, कहा - कला आत्मसंतुष्टि का विषय
उदयपुर जनतंत्र की आवाज। ऑन-लोकेशन स्केचिंग के लिए समर्पित स्केच आर्टिस्ट्स के वैश्विक समुदाय ‘अर्बन स्केचर्स’ उदयपुर द्वारा हर रविवार स्केच मीट का शतक पूरा होने के उपलक्ष में सूचना केन्द्र में आयोजित तीन दिवसीय स्केच प्रदर्शनी के दूसरे दिन बुधवार को दर्शकों का खासा उत्साह दिखाई दिया। इस दौरान कला विशेषज्ञों की मौजूदगी में कला-चर्चा का सत्र आयोजित किया गया। बतौर अतिथि आर्टिस्ट एवं राजस्थान प्रशासनिक सेवा की अधिकारी श्रीमती कीर्ति राठौड तथा आर्टिस्ट एवं साइकोलॉजिस्ट डॉ. सुनीति अमरावत मौजूद रही तथा कलाकारों के साथ कला-चर्चा में खुलकर विचार व्यक्त किए। थियेटर आर्टिस्ट व कश्ती फाउंडेशन प्रमुख श्रद्धा मुर्डिया तथा कहानीकार रजत मेघनानी ने कला चर्चा का प्रभावी संचालन करते हुए कला विशेषज्ञों के साथ चर्चा की। इस मौके पर स्केच आर्टिस्ट व वास्तुकार सुनील लड्ढा, चित्रकार अनुराग मेहता व राहुल माली ने भी विचार व्यक्ति किए।
स्वतंत्रता से हो सकता अद्भुत कलासृजन : राठौड़
वॉटर कलर की ख्यात आर्टिस्ट आरएएस कीर्ति राठौड़़ ने कहा कि हर व्यक्ति में किसी न किसी प्रकार की कला विद्यमान है, बस उसे पहचानने और आकार देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि रंगों और रेखाओं में असीम आनन्द की अनुभूति तथा आत्म संतुष्टि मिलती है। हर एक कलाकार को स्वतंत्रता चाहिए और अगर उसे वो दे दी ज़ाए तो अद्भुत कला सृजन हो सकता है। राठौड़ ने अर्बन स्केचर्स के 100 सप्ताहों के लगातार स्केच बनाकर प्रदर्शनी लगाने के प्रयास की सराहना की और कहा कि इससे अन्य कलाकारों को भी प्रोत्साहन प्राप्त होगा।
मानसिक स्वास्थ्य की परवाह कला से : अमरावत
आयल कलर आर्टिस्ट एवं साइकोलॉजिस्ट डॉ. सुनीति अमरावत ने कहा कि हर व्यक्ति अपने शारीरिक स्वास्थ्य का तो पूरा-पूरा खयाल रखता है परंतु बहुत कम लोग मानसिक स्वास्थ्य की परवाह करते हैं। कला के माध्यम से व्यक्ति सौ प्रतिशत सक्रिय रह सकता है। कला से ही हर व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ और खुश रहा जा सकता है। उन्होंने कोविड काल में अपने भीतर के कलाकार के जागृत होने के तथ्य के उजागर होने की जानकारी दी और कहा कि कलाकारों के जज्बे को देखते हुए कलासृजन का प्रोत्साहन मिलता है।
कला और करियर पर हुआ मंथन :
दोनों एक्सपर्ट्स ने कला और करियर विषय पर भी अपने विचार रखे। कीर्ति राठौड़ ने कहा कि ऐसा नहीं है कि कला में करियर नहीं है। अब वो जमाना गया जब डॉक्टर और इंजीनियर ही करियर के लक्ष्य होते थे, अब यदि किसी में छोटा सा भी कौशल है तो वह उसे करियर बना सकता है। उन्होंने अपने भीतर की क्षमता को पहचानने और उसे अच्छी तरह से निखारते हुए इसे आमदनी का जरिया बनाने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि अब तो सोशल मीडिया अच्छा माध्यम है जिससे घर बैठे अपनी कला को प्रोत्साहित किया जा सकता है। डॉ. सुनीति अमरावत ने नीट परीक्षा का उदाहरण देते हुए कहा कि दिनों-दिन इसके प्रति विद्यार्थियों का रूझान बढ़ता जा रहा है परंतु अब कला में भी करियर बनाया जा सकता है। हर व्यक्ति को अपने आसपास के क्षेत्र को देखना चाहिए और कला को कॅरियर बनाने पर फोकस करना चाहिए।
विशेषज्ञों ने देखी प्रदर्शनी :
कला चर्चा से पूर्व अतिथियों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और कलाकारों के सृजन को देखकर प्रसन्नता जताई। उन्होंने विभिन्न आयुवर्ग के स्केचर्स के स्केच्स को तसल्ली से देखा और विषयवस्तु के बारे में जानकारी ली।
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