अवैध कोचिंग संस्थानों का क्षेत्र में फैला मकड़जाल
अवैध कोचिंग संस्थानों का क्षेत्र में फैला मकड़जाल
सुभाष तिवारी लखनऊ
पट्टी प्रतापगढ़।पट्टी तहसील क्षेत्र में अवैध कोचिंग संस्थानों का मकड़जाल इस तरह फैला है कि छात्र छात्राओं का भविष्य व उनका जीवन भी खतरे में दिख रहा है।अभी हाल ही में दिल्ली में घटित एक घटना पूरे देश को झकझोर दिया।तीन छात्र छात्राओं की मौत को लोगों ने कोचिंग संस्थान को ही जिम्मेदार ठहराया है।इस घटना के बाद कुछ प्रदेशों ने तो अवैध रूप से चल रही कोचिंग संस्थानों पर कार्यवाही शुरू कर दी है।घटना के बाद यूपी सरकार भी हरकत में नजर आई।प्रदेश की योगी सरकार भी अवैध रूप से चल रहे कोचिंग संस्थानों पर कार्यवाही के लिए दिशा निर्देश जारी कर दिया है।समूचे प्रदेश में अवैध रूप से चल रही कोचिंग संस्थानों को चिन्हित किया जाए और उनके खिलाफ समुचित कार्यवाही की जाए।जो कोचिंग संस्थान अव्यवस्थाओं के साथ संचालित हो रहे हैं उन पर कड़ी कार्यवाही की जाए और उन्हें सील किया जाए।कुंभकर्णी निद्रा में सोया शिक्षा विभाग कभी भी क्षेत्र में जांच करने आते ही नही हैं इसी कारण कुछ लोगों ने कोचिंग संस्थान को एक व्यवसाय बना रखा है।अभी हाल में डिजिटल लाइब्रेरी का दौर जोरों पर है लोग कहीं भी डिजिटल लाइब्रेरी को खोलकर संचालित कर रहे हैं।उनके द्वारा भी समुचित स्थान व व्यस्थाओं को ध्यान नहीं रखा जाता है।कोचिंग सेंटर में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं एवं अध्यापकों आदि के लिए किए गए व्यवस्थाओं का भी स्थलीय निरीक्षण शिक्षा विभाग द्वारा किया जाना चाहिए। कोचिंग सेंटर में पार्किंग की व्यवस्था तथा आसपास यातायात की सुगमता पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। भारी वर्षा के दृष्टिगत जिन स्थानों पर जल भराव की समस्याएं बनी रहती हैं वहां पर बेसमेंट में कोचिंग संस्थान चलाना अमानवीय है।शिक्षा विभाग द्वारा यदि कठोरता नहीं बरती गई तो दिल्ली कोचिंग हादसे जैसी घटनाएं क्षेत्र में भी हो सकती हैं।
पट्टी तहसील क्षेत्र में लगभग कई दर्जन ऐसे कोचिंग संस्थान है जिनका ना तो कहीं रजिस्ट्रेशन है और ना ही शिक्षा विभाग को उनके बारे में कोई जानकारी है।शिक्षा विभाग भी ऐसे कोचिंग संस्थानों पर लगाम लगाने में आज तक कामयाब नहीं हो पाया है। ना तो इन कोचिंग संस्थानों के पास छात्र-छात्राओं के पठन-पाठन के लिए मूलभूत सुविधाएं हैं और ना ही किसी हादसे से निपटने के लिए इनके पास कोई व्यवस्था है। किसी घटना के बाद शिक्षा विभाग में खलबली मत जाती है और मामले को उसे दिनों के बाद जैसे तैसे करके रफा दफा करके अपनी साख बचा ली जाती है।
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