जैन दीक्षा तो चमत्कारिक दिव्य जड़ी बुट्टी है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर - आयड़ जैन तीर्थ में अनवरत बह रही धर्म ज्ञान की गंगा - प्रतिदिन जैन महाभारत पर आधारित प्रवचन का हो रहा व्याख्यान
जैन दीक्षा तो चमत्कारिक दिव्य जड़ी बुट्टी है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
- आयड़ जैन तीर्थ में अनवरत बह रही धर्म ज्ञान की गंगा
- प्रतिदिन जैन महाभारत पर आधारित प्रवचन का हो रहा व्याख्यान
उदयपुर, 30 जुलाई। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा का चातुर्मास की धूम जारी है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि मंगलवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। वहीं सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन महाभारत ग्रंथ की पूजा-अर्चना की।
महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने जैन महाभारत पर आधारित प्रवचन में बताया कि विशालाक्ष राजा को पाण्डु ने जीवन दान दिया तब विशालाक्ष राजा द्वारा पाण्डु को दिव्य अंगुठी भेंट की गई। जिनका चार चार चमत्कार था कि अंगुठी मुंह में रखकर इच्छा करो तो अदृश्य हो सकते है, इच्छित जगह आकश मार्ग से पहुंच सकते है। जैन दीक्षा भी दिव्य अंगूठी की तरह है। जैन दीक्षा तो चमत्कारिक दिव्य जड़ी बुट्टी है। जिन्हे पालने से नरक दूर हो जाता, जनावर की गति नहीं होती, संसार के सारे चक्कर लुट जाते और मोक्ष की प्राप्ति होती।
चातुर्मास संयोजक अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि 3 अगस्त शनिवार के दिन तपागच्छाधिपति आचार्य रामचन्द्र सुरी महाराज की 33वीं पुण्यतिथि निमित गुणानुवाद सभा एवं स्वामीवात्सलय का आयोजन होगा। चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन सुबह 9.30 बजे आचार्य हितवर्धन सुरश्वर द्वारा जैन महाभारत पर रोचक प्रवचन हो रहे है। वहीं प्रत्येक रविवार को सुबह 9.30 से 11 बजे तक अलग-अलग समसामायिक विषयों पर आचार्य के प्रवचन हो रहे है।
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