प्रशासनिक शिथिलता का दंश झेल रहा व्यवसायी दंपति,भूमाफिया से मिल थाने का एसआई शासन को प्रेषित कर रहा गलत रिपोर्ट

 प्रशासनिक शिथिलता का दंश झेल रहा व्यवसायी दंपति,भूमाफिया से मिल थाने का एसआई शासन को प्रेषित कर रहा गलत रिपोर्ट 




जिला अधिकारी से लगाई अपने प्राण रक्षा व मुकदमा दर्ज करने की गुहार


पत्नी ने जताई है पति की हत्या की आशंका पर मूक बाधिर बन देख रहा प्रशासन

सुभाष तिवारी लखनऊ

पट्टी प्रतापगढ़।पट्टी कस्बे का एक व्यवसायी दंपति आज महीने भर से प्रशासनिक अधिकारियों के दरवाजे खटखटा रहा है लेकिन व्यवसायी दंपति की माने तो प्रशासनिक अधिकारियों के शिथिलता के चलते उसे न्याय नहीं मिल पा रहा है।बता दें कि पट्टी कस्बा निवासिनी पूनम चौरसिया अपने पति अरविंद चौरसिया के साथ लगभग महीनों से जमीन के एक मामले में जिले के सभी अधिकारियों से गुहार लगा चुकी हैं।विपक्षियों द्वारा उसने पति की हत्या की आशंका भी जताई है लेकिन प्रशासन मामले को गंभीरता से ना लेते हुए टाल मटोल करता नजर आ रहा है पीड़िता का कहना है कि यदि हमारे पति के साथ कोई घटना घटती है तो उसके जिम्मेदार विपक्षी विपिन सिंह व पट्टी थाने में तैनात एसआई इंद्रेश प्रजापति होंगे।हमारे मामले में एसआई साहब विपक्षी से मिलकर शासन को गलत रिपोर्ट भेज रहे हैं।जबकि व्यवसायी दंपति की बन रही बाउंड्री वाल को विपक्षियों ने दो दो बार ढहा दिया पर मामले में कार्यवाही नगण्य रही।व्यवसायी दंपति का आरोप है कि विपक्षी विपिन सिंह द्वारा सूबेदार सरोज नाम के एक व्यक्ति को मोहरा बनाकर उसके खिलाफ खड़ा कर दिया गया और फर्जी बैनामा कराकर उसके खिलाफ साजिशन तैयार कर दिया गया ताकि उसे एससी/एसटी जैसे फर्जी मुकदमे में फसाया जा सके।व्यवसायी दंपति द्वारा सभी कागजी अभिलेख संबंधित अधिकारियों को प्रार्थना पत्र में संलग्न करके दिया गया है जिसमें स्पष्ट लिखा गया है कि सूबेदार सरोज जिन व्यक्तियों से बैनामा कराया है वह सभी लोग अपनी संपूर्ण जमीन का विक्रय सन 2011 में ही कर चुके हैं लेकिन साक्ष्य छुपा कर फर्जी बैनामा कराकर व्यवसायी दंपति को परेशान करने का तरीका ढूंढ लिया गया है।व्यवसायी दंपत्ति मामले की शिकायत लगभग एक माह पूर्व पट्टी तहसील में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस में किया था जिस पर पट्टी कस्बे एसआई इंद्रेश प्रजापति ने व्यवसायी दंपति के विरुद्ध रिपोर्ट लगाकर शासन को भेज दिया। उनकी रिपोर्ट में बताया गया कि विवादित जमीन पर स्थगन आदेश है और व्यवसायी जमीन की खरीद फरोख्त करता है लेकिन पीड़ित व्यवसायी दंपति का कहना है कि बाउंड्री का निर्माण लगभग पांच वर्ष पूर्व ही किया गया था और अब उस बाउंड्री वाल को थोड़ा ऊपर किया जा रहा था।जिस प्लाट का स्थगन आदेश विपक्षी द्वारा दिखाया जाता है वह उसके ऊपर लागू ही नहीं होता जिसका साक्ष्य जांच करने आए आए अधिकारी को दिया गया था।पर जब एक स्थगन आदेश से निर्माण नहीं रुका तो उसी जमीन पर विपक्षी द्वारा कोर्ट को गुमराह करते हुए पहले दायर मुकदमे में समझौता नामा लगाकर दुबारा स्थगन आदेश ले लिया गया।जिस पर भी लेखपाल व कानूनगो की रिपोर्ट मामले में संलग्न है। जिस प्लॉट का स्थगन आदेश है वह प्लांट बाउंड्रीवॉल के बाहर है।मामले की शिकायत पट्टी कोतवाली में भी की गई पर कार्यवाही न होने के चलते व्यवसायी दंपति पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ के पास गए और उन्हें प्रार्थना पत्र देकर अपने ऊपर हो रहे अन्याय पर प्रार्थना पत्र दिया।मामले में कप्तान के आदेश पर पुलिस महकमें द्वारा पुनः गलत रिपोर्ट प्रेषित कर मामले में हीला हवाली किया गया। इन सभी कार्यवाही से परेशान होकर व्यवसायी दंपति जिले के मुखिया कहे जाने वाले प्रतापगढ़ के जिला अधिकारी संजीव रंजन से गुहार लगाई और पति की हत्या की आशंका जताते हुए अपने प्राण रक्षा के साथ जमीन के मामले में न्याय की गुहार लगाई है।अब देखना यह होगा कि जिलाधिकारी द्वारा मामले को गंभीरता से लेकर विपक्षियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाता है या फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

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