पाप कर्माेदय होने पर दुःख का दूत अपनी पूरी टीम को आता है लेकर:संयम ज्योति

 पाप कर्माेदय होने पर दुःख का दूत अपनी पूरी टीम को आता है लेकर:संयम ज्योति


उदयपुर। समता मूर्ति परम् पूज्य जयप्रभा श्रीजी म.सा. की सुशिष्या साध्वी डॉ. संयम ज्योति ने कहा कि पाप को जानो और पाप से बचो। वे गुरुवार को दादाबाड़ी स्थित वासुपूज्य मंदिर में आयोजित व्याख्यान को संबोधित कर रही थीं।

साध्वी ने कहा कि पाप से व्यक्ति तभी बच सकता है जब वह पाप को पाप मानेगा। पाप को स्वीकार करेगा, पाप का पश्चाताप करेगा, पाप का प्रायश्चित लेगा और पाप कर नही करने का संकल्प लेगा। मन वचन और काया की अशुभ प्रवृति से अशुभ कर्म का बंध होता है। पाप कर्माेदय होने पर दुःख का दूत अपनी पूरी टीम को लेकर आता है। अगर व्यक्ति समाधि से कर्मों का भुगतान करता है तो पुण्य का बंध करता है वहीं आक्रोश से भुगतान करता है, पाप का बंध करता है।

उन्होंने कहा कि मन वचन और काया की शुभ प्रवृति से शुभ कर्म का बंध होता है। शुभ कर्मों का उदय आने पर सुख की दूत अपनी पूरी टीम लेकर आता है। अगर व्यकि शुभ कार्य करता है तो पुण्य का बंध का करता है वही अशुभ कार्य करता है तो पाप का बन्ध करता है।

साध्वी ने कहा कि कर्म बंध वृत्ति इंटेंशन के आधार पर होते है। अगर वृति शुभ और प्रवृति अशुभ है तो भी प्रगाढ कर्म बंध नहीं होते है। वृति अशुभ भौर प्रवृति शुभ हो तो प्रगाढ कर्म बंध होते है। वृत्ति भी शुभ प्रवृति भी शुभ तो व्यक्ति शुद्ध की तरफ बढ़ता है।

साध्वी संयम साक्षी ने जल की महत्ता बताते हुए कहा कि जल है तो कल है। अगर जल का दुरुपयोग नही रोका जायेगा तो तीसरा युद्ध जल के लिए ही होगा। साध्वी ने कहा कि विज्ञान ने माइक्रोस्कोप द्वारा बताया है कि एक पानी की बूंद में 36450 जीव है वही भगवान महावीर स्वामी ने केवल ज्ञान के आलोक में बताया है कि पानी की एक बूंद में असंख्य जीव हैं। पानी के दुरुपयोग से असंख्य जीवों की भी हिंसा होती है और दूसरी तरफ पानी के अभाव में प्राणियों का जीवन समाप्त हो जाना है।

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