नई पीढ़ी में कौशल दक्षता के विकास के साथ संस्कारों का बीजारोपण भी जरूरी'
'नई पीढ़ी में कौशल दक्षता के विकास के साथ संस्कारों का बीजारोपण भी जरूरी'
उदयपुर। नई पीढ़ी में कौशल दक्षता के विकास के साथ ही संस्कारों का बीजारोपण और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए कुशल दृष्टि का प्रशिक्षण भी बेहद जरूरी है, ताकि वह प्रतिस्पर्धा के दौर में धीरज और सामंजस्य से आने वाली परिस्थितियों का विवेकपूर्वक सामना कर सके। यह विचार शहर के प्रमुख शिक्षाविदों के विचार मंथन में निकल कर आए।
अवसर था ग्लोबल एजुकेशन एंड एजुटेक कॉन्क्लेव का जिसमें शहर के विभिन्न विश्वविद्यालय के शिक्षकों और अधिकारियों ने भविष्य की शिक्षा और संभावनाओं पर चिंतन किया। यहां भुवाणा स्थित थर्ड स्पेस के मुक्ताकाश मंच पर आयोजित उक्त चर्चा सत्र में वर्द्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय की निदेशक डॉ रश्मि बोहरा ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा नई संभावनाओं का द्वार खोल रही है साथ ही अलग-अलग स्ट्रीम्स में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अपने मनपसंद विषय चुनने का भी अधिकार मिल रहा है। इससे शिक्षा का नया परिदृश्य बना है जो कि नई पीढ़ी को अपने सपनों के पंख लगाने का अवसर दे रहा है।
आईआईएम उदयपुर की प्रशासनिक अधिकारी शानू लोढ़ा ने कहा कि नई पीढ़ी अपना मार्ग खुद चुन रही है क्योंकि अब नेटवर्किंग का जमाना है। युवाओं द्वारा विचार साझा किया जा रहे हैं और स्टार्टअप्स के जरिए रोजगार की नई राहे भी खुल रही है, ऐसे में युवाओं को रोजगारपरक पाठ्यक्रमों से जोड़कर उन्हें मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए।
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के फैशन टेक्नोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ डोली मोगरा ने कहा कि नई पीढ़ी में संस्कारों का बीजारोपण भी बहुत जरूरी है, क्योंकि नम्रता और कौशल दोनों का समन्वित रूप सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।
सिंघानिया यूनिवर्सिटी के डॉ एसके गुप्ता ने कहा कि शिक्षा को रोजगार से जोड़ना आज की पहली जरूरत है। सांई तिरुपति यूनिवर्सिटी के डॉ नरेंद्र गोयल ने कहा कि नई पीढ़ी में धीरज की कमी दिखती है उनके सामने संभावनाओं के कई अवसर आते हैं लेकिन असमंजस और अनिर्णय की अवस्था के कारण वे सही रोजगार तक नहीं पहुंच पाते है इसलिए उनमें काउंसलिंग के जरिए आत्मविश्वास बढ़ाने की आवश्यकता है।
प्रसिद्ध खिलाड़ी एवं चुनाव आयोग के एम्बेसडर कुलदीप राव ने कहा कि डिजिटल दुनिया के खेलों से बाहर निकलकर नई पीढ़ी को खुला खेल मैदान उपलब्ध कराना भी जरूरी है ताकि स्वस्थ दिमाग के साथ स्वस्थ शरीर का विकास भी हो सके। राजस्थानी फिल्मों के अभिनेता एवं प्रसिद्ध टीवी कलाकार बलवीर सिंह राठौड़ ने कहा कि नई पीढ़ी में भाषाई संस्कार पैदा करना भी आवश्यक है, हिंदी और अंग्रेजी के साथ उन्हें अपनी मातृभाषा में बोलने लिखने और नियमित प्रयोग करने का प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए ताकि राजस्थानी को मजबूत बनाया जा सके। वरिष्ठ पत्रकार विपिन गांधी ने कहा कि विभिन्न काउंसलिंग शिविरों के जरिए स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा में नए अवसरों एवं रोजगार के अवसरों की जानकारी दी जानी चाहिए। इंटरनेट विशेषज्ञ मुर्तजा अली ने कहा कि डिजिटल मार्केटिंग का दौर है और यह रोजगार के द्वार भी खोल रहा है वहीं पारुल राणावत और सुरभि नाहर ने कहा कि नई शिक्षा नीति का व्यापक प्रचार प्रसार बेहद जरूरी है। साईं तिरुपति यूनिवर्सिटी के देवर्षि मेहता ने कहा कि सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर भी अच्छी कमाई कर रहे हैं अगर बेहतर कंटेंट क्रिएट किया जाए तो यह स्वरोजगार का साधन बन सकता है। उपभोक्ता न्यायालय के सदस्य न्यायाधीश रहे डॉ भारत भूषण ओझा ने कहा कि उच्च शिक्षा में नवाचारों की जरूरत है ताकि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्ति का ही माध्यम ना रहे। इस अवसर पर एम स्क्वेयर के मुकेश माधवानी सहित योगिता कुमारी, रेणु कर्णावत, महेंद्र पुरोहित, संजय गुप्ता इत्यादि ने भी विचार व्यक्त किये। इस चर्चा सत्र का संचालन मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ कुंजन आचार्य ने किया। कार्यक्रम समन्वयक विकास जोशी ने प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया तथा सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।
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