अनुष्का विधि महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं का हिंदुस्तान जिंक शैक्षणिक भ्रमण

 अनुष्का विधि महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं का हिंदुस्तान जिंक शैक्षणिक भ्रमण



उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल। डॉ. अनुष्का विधि महाविद्यालय के निदेशक डॉ. एस.एस. सुराणा ने बताया कि महाविद्यालय के एलएल.बी. त्रिवर्षीय पाठ्यक्रम के छात्र छात्राओ के दल ने महाविद्यालय के उप प्राचार्य डॉ. मोहम्मद हारुन छीपा एवं सहायक आचार्य श्रीमती मंजू कुमावत के निर्देशन में हिंदुस्तान जिंक स्मेल्टर, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, उदयपुर का विजिट किया|


जिंक स्मेल्टर के ह्यूमन रिसोर्स विभाग की एसोसिएट मेनेजर महिमा मिश्रा ने विधार्थियों को जिंक स्मेल्टर का संक्षिप्त परिचय दिया| उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान जिंक की कुल 5 माइंस एवं 4 स्मेल्टर है| जिसमे से एक स्मेल्टर देबारी में स्थित है जहाँ माइंस में से निकले हुए कच्चे माल को प्रोसेस करके 99.7 प्रतिशत जिंक निकाला जाता है|

एसोसिएट मेनेजर (सुरक्षा) टी.मनिकन्दम एवं अब्दुल रजाक ने विधार्थियों को वहां पालन किये जाने वाले सुरक्षा सम्बन्धी नियमों एवं प्रोटोकॉल से अवगत कराया| उनका कहना था कि जिंक स्मेल्टर परिसर में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षा सम्बन्धी नियमों की पालना करना आवश्यक है| सुरक्षा नियमों के तहत हेलमेट, मास्क, रिफ्लेक्टर, एवं वहां के लिए निर्मित जूतें पहनना अनिवार्य है|

सुरक्षा नियमों की जानकारी के पश्चात् लर्निंग एवं डेवेलपमेंट डिपार्टमेंट में कार्यरत डॉ. अजय ने विधार्थियों को बस के माध्यम से पुरे परिसर का भ्रमण कराया| भ्रमण के दौरान परिसर में स्थित दो रोस्टर प्लान देखे जिसमे कच्चे माल को एसिड एवं ब्लीचिंग के साथ अत्यधिक तापमान पर प्रोसेस कर जिंक को तरल रूप में फ़िल्टर किया जाता है|

इस प्रक्रिया के पश्चात् जिंक के तरल रूप को सोल हाउस में भेजा जाता है| सोल हाउस की विजिट के दौरान वहां पर कार्यरत प्रदीप गोयल ने सोल हाउस में होने वाले प्रोसेस की सम्पूर्ण जानकारी दी और बताया कि जिंक को अंतिम रूप से प्रोसेस करने के पश्चात् 25 किलो एवं 600 किलो की सीट के रूप में बनाया जाता है|

साथ ही मयंक चोरसिया ने परिसर में स्थित सोलर प्लांट के बारे में भी बताया| यह सोलर प्लांट 54 एकड़ के एरिये में फैला हुआ है जो प्लांट के लिए उपभोग होने वाले कुल विद्युत का 6 प्रतिशत जनरेट करता है|

जिंक स्मेल्टर की विजिट के पश्चात् फाइनेंसियल हेड नरेश अग्रवाल ने विधार्थियों को जिंक परिसर में होने वाली विभिन्न गतिविधियों से अवगत करवाया| उन्होंने बताया कि इसका अत्यधिक उपयोग गेल्वनाइज, ऑटोमोबाइल एवं फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में होता है| साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जिंक परिसर में उपयोग होने वाली सभी गैस एवं पानी को परिसर में ही विभिन्न अभियान्त्रिकीयों द्वारा प्रोसेस कर पुन: काम में लिया जाता है|

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. क्षेत्रपाल सिंह ने बताया की विधि के विधार्थियों का जिंक स्मेल्टर प्लांट का ओद्योगिक भ्रमण का उद्देश्य जिंक स्मेल्टर परिसर में स्थित अभियान्त्रिकीयों द्वारा काम आने वाली प्रक्रिया किस प्रकार विधि के नियमों के अनुरूप संचालित होकर पर्यावरण को संरक्षित रखने वाले नियमों की पालना करती है, का अवलोकन करना एवं ओद्योगिक विधि के ज्ञान का विकास करना है|

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