नवपद ओली के छठे दिन हुए विविध आयोजन
- नवपद ओली के छठे दिन हुए विविध आयोजन
उदयपुर, 20 अप्रेल। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ स्थित आत्मवल्लभ सभागर में आचार्य पदमभुषण रत्न सुरिश्वर व प्रन्यास ऋषभ रत्न विजय, साध्वी कीर्तिरेखा श्रीजी संघ की निश्रा में शनिवार को नवनद ओली के छठे दिन विशेष पूजा-अर्चना के साथ अनुष्ठान हुए। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। स्नात्र पूजा के पश्चात विविध प्रकार की औषधियों से प्रतिमा का अभिषेक किया गया। धर्मसभा मेें आचार्य ने नवपद ओली के पांचवे दिन कहां कि श्री नवपद की आराधना के छठे दिन साधु पद की आराधना के महत्व को समझाते हुए कहा कि नवपद की आराधना करने पर श्रीपाल राजा का कुष्ट नाश हो गया ऐसे नवपद की आराधना का आज छठा दिन है और सम्यग् दर्शन की आराधना करती है। सम्चार दर्शन की आराधना से अशुद्ध भाव दूर हो जायेंगे, निर्मल भाव उदित होंगे और भावों की निर्मलता से भक्ति का निर्झर बहता है। सम्यग् दर्शन की आराधना ही मोक्ष मार्ग का सोपान है। दर्शन यानी जुद्धा, आस्था, विश्वास। जिस तरह से सुलसा जानिका को परमात्मा महावीर पर अटूट श्रद्धा थी। हमारी कोई भी क्रिया श्रद्धापूर्वक, विश्वासपूर्वक, आस्थापूर्वक होनी चाहिए। हम क्रिया तो करते हैं मगर द्रव्य क्रिया करते है। हमने कितनीटी बार मनुष्य भव प्राप्त किया, कितनी ही बार आराधना की, कितनी ही बार चारित्र ग्रहण किया, मेरु पर्वत जितने सोधे प्राप्त किये लेकिन अभी तक आत्मा का कल्याण नहीं हुआ। सम्यग्दर्शन के विषय में कहा कि जो सम्म दृष्टि आत्मा होती है वह यदि कुछ भी पाप प्रवृत्ति करता है फिर भी उसे पापकर्म का अल्पबंध होता है क्योंकि वह निरर्थक परिणाम से पापाचरण नहीं करता है चूँकि सम्भार दृष्टि आत्मा शुद्ध, पवित्र आत्मा होती है, अत: पाप भीरुता के कारण यह पाप करने से घबराती है, राप के प्रति धिकार भाव होता है। दुष्कृत की गर्दा और सुकृत की अनुमोदना करता है। परमात्मा की भक्ति करने से, परमात्मा की के दर्शन करने से, परमात्मा के जिनबिंग की पूजा, दर्शन, तीर्थ यात्रा करने से हमारा सम्यग्दर्शन निर्मल बनता है वह आत्मा तीन भव या सात-आठ भव में मोझ जाती है। इस अवसर महासभा महामंत्री कुलदीप नाहर, महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या, चतर सिंह पामेचा, सतीस कच्छारा, श्याम हरकावत, भोपाल सिंह दलाल, श्रेयांश पोरवाल, प्रवीण हुमड़, भोपाल सिंह नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी आदि मौजूद रहे।
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