लेखक से मिलिए कार्यक्रम सम्पन्न हमारी वैचारिकता में सत्य होना चाहिए - राठी

 लेखक से मिलिए कार्यक्रम सम्पन्न

हमारी वैचारिकता में सत्य होना चाहिए - राठी 


उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल। राजस्थान साहित्य अकादमी एवं काव्यमंच जोधपुर की सहभागिता में लेखक से मिलिए कार्यक्रम के अन्तर्गत सुप्रसिद्ध साहित्यकार हरिप्रकाश राठी, जोधपुर से शैलेन्द्र ढड्ढा का संवाद हुआ। श्री राठी ने अपनी रचना प्रक्रिया में बताया कि उदयपुर मेरी रग-रग में बसा है । मेरी कई कहानियों की पृष्ठभूमि में उदयपुर का महत्वपूर्ण स्थान है। लेखक बनना एक ईश्वरीय वरदान है। रचनाकार को स्वयं अपनी रचनाओं का आलोचक भी होना चाहिए। वैचारिक प्रतिबद्धता पर आपने कहा कि आज साहित्यकार सत्य से भटक गया है तथा वैचारिकता पर टिक गया है। हमारी वैचारिकता में सत्य होना चाहिए । हर कहानी का कथानक अलग होगा तभी वह पाठकों को रुचिकर होगी। हमारी कहानी में भारतीयता और सत्यता तो होनी ही चाहिए। कहानी में उद्देश्य और रहस्य दोनों होने चाहिए। रचना की भाषा पाठकों के ह्दय तक पहुच सकने वाली होनी चाहिए। 

 प्रारम्भ में शैलेन्द्र ढड्ढा ने लेखक का परिचय देते हुए कहा कि हरिप्रसाद राठी की कहानियां आदर्शवादी और मानवीय मूल्यों को स्थापित करने वाली कहानियां है। आपकी कहानियां शहरी मध्यम वर्ग की कहानियां है और आपकी भाषा मुहावरे और लोकोक्तियों से भरपूर है। आपने संवाद करते हुए बताया कि श्री राठी की रचना प्रक्रिया सहेजानुभूत है और इसी कारण आपकी कहानियां पाठकों के बीच काफी लोकप्रिय है । 

 श्रीमती शकुन्तला सरुपरिया ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ । किरण आचार्य ने अतिथि साहित्यकार का परिचय दिया तथा रामदयाल मेहरा, राजेश मेहता तथा प्रकाश नेभनानी द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। 

 इस अवसर पर कुन्दनमाली, मनमोहन मधुकर, बिलाल पठान, इकबाल हुसैन इकबाल, ज्योतिपंुज, गोविन्द लाल ओड, किशन दाधीच, मोनिका गौड बीकानेर, अशोक जैन मंथन, मंजू चतुर्वेदी , इन्द्रप्रकाश श्रीमाली, किरणबाला जीनगर, खुर्शीद शेख, अनिल सक्सेना, मधु अग्रवाल, शोभा देवपुरा, बलवीर सिंह भटनागर, सदाशिव श्रोत्रिय, आशीष सिसोदिया, जगदीश चन्द्र, अरुण माहेश्वरी आदि की सार्थक उपस्थिति रही।

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