महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय नववर्ष पर नवसंकल्पः हर कार्यदिवस पर एक घण्टा अतिरिक्त कार्य करेंगे कार्मिक प्रशासनिक भवन में सौ फीट ऊंचे मस्तूल (पोल) पर फहराया तिरंगा, आकाश में छोड़े गुब्बारे

 महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

नववर्ष पर नवसंकल्पः हर कार्यदिवस पर एक घण्टा अतिरिक्त कार्य करेंगे कार्मिक

प्रशासनिक भवन में सौ फीट ऊंचे मस्तूल (पोल) पर फहराया तिरंगा, आकाश में छोड़े गुब्बारे



विवेक अग्रवाल


उदयपुर संवाददाता (जनतंत्र की आवाज) 1 जनवरी । महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के अहाते में नववर्ष के मौके पर सौ फीट ऊंचे मस्तूल (पोल) पर विशाल राष्ट्रीय ध्वज की स्थापना एवं आरोहण किया गया। साथ ही विश्वविद्यालय के तमाम कार्मिकों ने नए साल में प्रत्येक कार्यदिवस पर एक घण्टा स्वैच्छिक अतिरिक्त कार्य करने



की शपथ भी ली। कार्यक्रम में कृषकोपयोगी कैलेण्डर का विमोचन भी किया गया।

प्रशासनिक भवन प्रांगण में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रीय ध्वजारोहण कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने किया। कार्यक्रम के अतिथि आई.सी.आई.र्सी.आइ. बैंक क्षेत्रीय प्रमुख नितिन बाघमार थे। ध्वज की स्थापना आई.सी.आई.र्सी.आइ. बैंक के आर्थिक सहयोग से की गई।

स्वतंत्रता दिवस सा माहौल

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन परिसर में छितराई रुई के फाहांे सी गुनगुनी धूप...। एक सौ फीट ऊंचे मस्तूल (पोल) पर रिमोट से विशालकाय ध्वज के आरोहण का नजारा बेहद आकर्षक था।

आहिस्ता-आहिस्ता ध्वज ने जैसे ही मस्तूल के मुख को चूमा, तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा माहौल गूंज उठा और तमाम अतिथियों के हाथों में पकड़े सैकड़ों केसरिया, सफेद व हरे रंग के गुब्बारों ने आसमान से आलिंगन की यात्रा शुरू की तो दृश्य नयनाभिराम बन पड़ा। लोगों ने इस दृश्य को उत्साहित होकर मोबाई ल व कैमरों में कैद किया। ध्वजारोहण पश्चात् राष्ट्रगान और कुलगीत गाया गया।

इस मौके पर कुलपति डॉ. कर्नाटक ने कहा कि नववर्ष पर नवसंकल्प व नई ऊर्जा के साथ विश्वविद्यालय को नई ऊंचाईयां प्रदान करने के प्रयास किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय ध्वज भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। यही वो तिरंगा है जिसके लिए सशस्त्र बलों के सदस्यों सहित अनगिनत लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। तिरंगे में शीर्ष पर केसरिया रंग देश की ताकत और साहस को दर्शाता है जबकी केन्द्र में सफेद रंग शांति और सच्चाई का प्रतीक है। नीचे हरा रंग भूमि की उर्वरता, वृद्धि और शुभता को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि यह सब एक अकेला व्यक्ति नहीं कर सकता बल्कि टीम भावना के काम करने का ही सुखद परिणाम है। उन्होंने कहा कि टीम भावना के कारण ही इस विश्वविद्यालय का परचम् पूरे देश में फहरा रहा है।

कार्यक्रम के अतिथि आई.सी.आई.सी.आई बैंक के क्षेत्रीय प्रमुख नितिन बाघमार ने कहा कि प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप के त्याग और देश प्रेम की भावना को अमिट बनाए रखने के लिए बैंक की ओर से यह छोटा सा प्रयास है। उन्होंने इस कार्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन का आभार जताया।

आरंभ में सी. टी. ए. ई. अधिष्ठाता डॉ. पी. के. सिंह ने ध्वज स्थापना व आरोहण कार्यक्रम से जुड़े सभी कार्मिकोें का आभार जताया। साथ ही विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन परिसर में भविष्य में महाराणा प्रताप की भव्य मूर्ति स्थापना के प्रयासों की जानकारी दी।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक विनय भाटी, परीक्षा नियंत्रक डाॅ. सुनिल इंटोदिया, कोषाधिकारी लोकेश यादव, आई.सी.आई.सी.आई बैंक के अभिषेक रंजन व हिमांशु के अलावा विश्ववि़द्यालय के तमाम घटक महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशकों व बड़ी संख्या में कार्मिकों ने भाग लिया। कृषकोपयोगी कैलेण्डर के लिए जनसंपर्क अधिकारी डॉ. लतिका व्यास को बधाई दी। संचालन डॉ. गायत्री तिवारी ने किया।

एक घण्टा अतिरिक्त कार्य करने की शपथ

कुलपति डॉ. कर्नाटक ने कहा कि वर्ष 2024 आगाज ही बहुत सुन्दर हुआ है। आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान विशाल तिरंगा फहराकर विश्वविद्यालय ने ‘शक्तिशाली भारत‘ का संकेत देने का विनम्र प्रयास किया है। डॉ. कर्नाटक ने मंशा व्यक्त की कि वर्ष 2024 को यादगार बनाने और विश्वविद्यालय प्रगति करे, इसके लिए प्रत्येक कार्मिक प्रत्येक कार्य दिवस पर अवैतनिक एक घण्टा अतिरिक्त कार्य करेंगे। कुलपति ने शिक्षण, शोध, प्रसार, उद्यमिता विकास आदि से जुड़े तमाम कार्मिकों को बाकायदा शपथ भी दिलाई।



पिगंली वैंकया की देन है हमारा तिरंगा

कुलपति डाॅ. कर्नाटक ने कहा कि राष्ट्रीय गौरव और अस्मिता के प्रतीक तिरंगा के बारे में युवा पीढ़ी को विस्तृत जानकारी होनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि पहला भारतीय राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के पारसी बागान स्क्वायर में फहराया गया था। तब ध्वज के तीन प्रमुख लाल, पीला व हरा रंग था। भारतीय तिरंगे की परिकल्पना प्रसिद्ध भूगर्भ वैज्ञानिक पिगंली वैंकया की थी। वंैकया ने भारतीय तिरंगे का पहला संस्करण 1921 में पांच वर्षों की साधना से डिजाइन किया था। 1931 में तिरंगे झंडे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाते हुए ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया गया था। तब तिरंगे के केन्द्र में महात्मा गांधी के चरखे के साथ केसरिया, सफेद व हरा रंग था।

देश को आजाद होने में मात्र 24 दिन बाकी थे तब 22 जुलाई वह तारीख बनी जब संविधान सभा ने तिरंगे को देश के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अंगीकार किया। ध्वज की चैड़ाई और लंबाई का अनुपात 2: 3 है। सफेद पट्टिका के मध्य नीले रंग का चक्र है जिसमें 24 तीलियां है। इस प्रतीक को सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ से लिया गया है। येें तीलियां दर्शाती है कि गति में जीवन है और ठहराव में मृत्यु है।

यानी पिंगली वैंकया ही वह शक्स थ,े जिन्होंने अपनी कल्पना को ध्वज पर उतारा और भारत की पहचान बना डाला। डाॅ. कर्नाटक ने बताया कि भारतीय नागरिकों को चुनिंदा अवसरों को छोड़कर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति नहीं थी। यह कानून उद्योगपति नवीन जिंदल द्वारा एक दशक की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद बदल गया। इसकी परिणति 23 जनवरी 2004 के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में हुई जिसमें कहा गया कि राष्ट्रीय ध्वज को सम्मान के साथ स्वतंत्र रूप फहराने का हर एक भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है।

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