महाराणा फतहसिंह की 174वीं जयन्ती मनाई
महाराणा फतहसिंह की 174वीं जयन्ती मनाई
उदयपुर संवाददाता (जनतंत्र की आवाज) 13 जनवरी।
मेवाड़ के 73वें एकलिंग दीवान महाराणा फतहसिंह जी की 174वीं जयंती महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से मनाई गई। महाराणा का जन्म पौष शुक्ल द्वितीया, विक्रम संवत 1906 (वर्ष 1849 ई.) को हुआ था।
महाराणा फतहसिंह असाधारण प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तित्व के धनी थे कुल-गौरव, देशाभिमान, स्वातंत्र्य-प्रेम एवं आत्मसम्मान उनको अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय था। महाराणा तेजस्वी, कुलाभिमानी, पराक्रमी, धीर वीर, गंभीर, नीडर, सदाचारी एवं आदर्श शासक थे। उनकी शरणागतवत्सलता भारत प्रसिद्ध थी।
महाराणा ने लगभग अपने 45 वर्षों तक अदम्य उत्साह, मनोयोगपूर्वक अपने विचारों के अनुकूल निरापद राज्य किया। वे धर्मात्मा और गरीबों, विशेषतया दीन दुखियों एवं अबलाओं के सहारा थे। वे प्रतिवर्ष साधु संतों एवं विद्वानों के आदर-सत्कार में सहस्रों रुपये खर्च करते थे। उन्होंने अपने सुशासन काल में परम बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए सामुदायिक विकास, सिंचाई व्यवस्था तथा वन-संवर्द्धन आदि महत्ता के कारण वे मेवाड़ के अपराजेय और परम प्रतापी महाराणा कहलाये।
महाराणा के शासनकाल में बनवाये महल एवं भवन आदि तत्कालीन निर्मित शिवनिवास पैलेस, फतेह प्रकाश पैलेस, प्रसिद्ध दरबार हाल तथा चित्तौड़गढ़ का फतेह प्रकाश महल आदि निर्माण कला के अनुपम अनुकृतियां हैं, उन्होंने अनेक नये भवनों का निर्माण तथा प्राचीन स्मारकों को जीर्णोद्धार भी करवाया। जो उनकी निर्माण-कुशलता प्रियता एवं सुरुचि की परिचायक है। महाराणा कलाप्रेमी होने के साथ-साथ चित्रकारों के भी बड़े प्रशंसक थे। तथा वे वास्तुकला को भी बहुत प्रोत्साहन देते थे।
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