भारतीय महामहिम राष्ट्रपति मुर्मू साहिबा की न्याय सुधार की पहल --

 भारतीय महामहिम राष्ट्रपति मुर्मू साहिबा की न्याय सुधार की पहल --


कैलाश चंद्र कौशिक

जयपुर! नई दिल्ली भारत सरकार को न्याय में नई दिशा और दशा सुधार देने की बात करते हुए, ब्रिटिश सरकार के मनमर्जी और स्वार्थ परक कानूनों को बदलने की महत्ता पर जोर दिया! 

यंहा तक कहा कि भारतीय प्रशासन परीक्षा जैसी, कानून विदों की भारतीय न्यायिक सेवा परीक्षा लेने की पहल की ,यह किसी भी न्यायिक अधिकारी को थोपने जैसा नहीं रहेगा! 

इससे अधिक पारदर्शी चयन प्रक्रिया होने से संपूर्ण राष्ट्र के न्याय प्रतिभागी भाग ले सकेंगे!

ऐसा नये भारत में आनवश्यक कानूनों को हटा कर, न्याय को गति देंगे, पुराने ढर्रे से अब तक बहुत अन्याय और समय परक न्याय नहीं होकर न्यायाधीशों की मनमर्जी और दखल मंजूर नहीं होगी! 

सरकारी और निजी वकीलों की मनमर्जी अब तक चली आ रही है फीस भी तय शुदा जैसा पेचीदा शब्द लिखा कर लाखों में डकार कर भी, फाईल पढ़ने के नाम पर ही मोटी रकम खा जाते हैं, बेचारे वादी और प्रतिवादी पब्लिक मैन ठगे से रह जाते हैं! बिना सबूत और बिना कोई काम किये पब्लिक मैन को निराशा ही मिलती है,सभी न्यायालय फैंसले, निर्णय, लिपि- प्रति लिपि सुगमता से आन लाइन मिलनी चाहिए, पेचिदगी ही भृष्टाचार की जननी है अभी भी सैंकडो परिवार अपने देश में ही लुटे पिटे न्याय की आशा में भुगत भुगत कर ईह लीला छोड़ जाते हैं, यह नये भारत की जरूरत है! 

सामान्य से अमीर तक को शीघ्र न्याय मिलें, जो विश्व में नया आयाम स्थापित करें!

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