गैर औद्योगिक भूखंडों की ई-नीलामी शुरू
गैर औद्योगिक भूखंडों की ई-नीलामी शुरू
राजसमंद / पुष्पा सोनी
रीको के धोईन्दा एवं बग्गड़ औद्योगिक क्षेत्रों में गैर औद्योगिक भूखण्डों की ई-नीलामी की प्रक्रिया 26 मई से शुरू हो गई है जिसमें 10 भूखण्ड ई-नीलामी के लिए है औद्योगिक क्षेत्र धोईन्दा में एक भूखण्ड इन्स्टीट्यूशनल, एक धर्म कांटा एवं एक सीएनजी स्टेशन के लिए आरक्षित है।
औद्योगिक क्षेत्र बग्गड़ में एक भूखण्ड अस्पताल, एक भूखण्ड रिटेल फ्यूल फिलिंग स्टेशन के लिए आरक्षित है बाकी सब भूखण्ड वाणिज्यिक उपयोग के लिए है एवं इन सभी गैर औद्योगिक क्षेत्रों के लिए पूर्ण मूल्य के साथ-साथ जीएसटी भी लगता है।
इस सम्बन्ध में दिनांक 27 मई को कलेक्ट्रेट हॉल में कलेक्टर सर की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें अधिकांश जिला स्तरीय अधिकारी व अलग-अलग एसोसिएशन के पदाधिकारी यथा अध्यक्ष मार्बल गैग्सा एसोसिएशन, अध्यक्ष राजसमंद ग्रेनाइट संस्थान व लघु उद्योग भारती के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बैठक में रीको राजसमन्द के वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबन्धक राधा किशन गुप्ता ने ई-नीलामी/प्रत्यक्ष आवंटन पोलिसी, ई-लोटरी श्रेणी के भूखण्ड, उस पर निर्धारित छूट औद्योगिक क्षेत्रों की श्रेणी (सफेद एवं ए श्रेणी में नहीं) के बारे में विस्तारपूर्वक उनकी प्रक्रिया, भुगतान की प्रक्रिया, किश्तों के बारे में बताया। नये परिवर्तन जैसे खाली भूखण्ड के बेचने पर प्रतिबन्ध, निर्माण क्षेत्र का कम से कम 30 प्रतिशत व उत्पादन के तीन वर्ष पश्चात् ही उद्यमी भूखण्ड को बेच सकेगा आदि।
रीको के इस समय तीन वूर्ण विकसित औद्योगिक क्षेत्र राजनगर, धोईन्दा, एवं बग्गड़ एवं अभी एक अर्द्ध विकसित औद्योगिक क्षेत्र कुरज है, मुरड़ा औद्योगिक क्षेत्र में निर्माण का कार्य अभी शुरू ही हुआ है बजट घोषणाओं के अन्तर्गत कुम्भलगढ़ मे तनाजा का बांसा, नाथद्वारा में रूपायली व राजसमन्द में पीपरड़ा में स्टोन मंडी के अधिग्रहण की प्रक्रिया अभी चल रही है।
इधर रीको प्रबंधन द्वारा औद्योगिक क्षेत्रों मे भूमि की मांग को देखते हुए निवेशकों को विकसित/अविकसित भूखंड उपलब्ध कराने के उद्देश्य से हाल ही में नियमों को संशोधित करते हुए औद्योगिक उपयोग हेतु 10 हैक्टेयर से कम क्षेत्रफल की भूमि आवंटित करने का निर्णय लिया गया है इसके अन्तर्गत राजसमन्द इकाई से राजसमन्द जिले के लगभग 10 प्रस्तावों को राजस्व विभाग को देने का लक्ष्य दिया गया है। यह भूमि राष्ट्रीय/राज्य राजमार्ग/रेलवे नेटवर्क के समीप उपयुक्त पहुँच मार्ग वाली होनी चाहिए एवं आबादी क्षेत्र से कम से कम 1.5 किमी की दूरी पर सिवायचक/बिलानाम श्रेणी की किस्म की हों।
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