कुशलगढ़ निवासी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रचारक सुरेंद्र सिंह तंवर का निधन हजारों लोगों ने दिया श्रद्धांजलि



 . कुशलगढ़ 3 अप्रैल कुशलगढ़ निवासी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रचारक सुरेंद्र सिंह तंवर का निधन हजारों लोगों ने दिया श्रद्धांजलि 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक राजस्थान 

क्षेत्र के क्षेत्रीय कार्यकारिणी सदस्य हिंदू जागरण मंच के पूर्व क्षेत्र संगठन मंत्री सुरेंद्र सिंह जी तंवर का अंतिम संस्कार राजपूत समाज के शमशान घाट परिसर में किया गया जहां हजारों लोग उपस्थित थे वहीं गुजरात राजस्थान के 12 जिलों के सैकड़ो लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे कुशलगढ़ 

मंत्री पूर्व मंत्री विधायक सांसद पंचायत समिति प्रधान जनप्रतिनिधि के अलावा विभिन्न सामाजिक संगठन व्यापारी संगठन समाज सेवा संगठन के अग्रणीय पधाअधिकारी अंतिम शव यात्रा में सम्मिलित हुए

*ललित गोलेछा ब्यूरो चीफ की रिपोर्ट*

*आदरणीय सुरेंद्र सिंह जी के देहावसान का स्माचार अत्यंत पीड़ा दायक और हृदय को व्यथित करने वाला है।* 

*आज से लगभग ३० वर्ष पूर्व पहली बार उनसे मुलाकात का दृश्य आज भी स्मृतियों में ताजा है—छोटा कद, साँवला रंग, छोटी लेकिन गहरी दृष्टि वाली आँखें, मजबूत और कठोर शरीर, और सदैव मुस्कुराने वाला उनका चेहरा। उनकी सरलता और सौम्यता के पीछे अद्भुत तेज था, और उनकी वाणी में ऐसा ओज था जो किसी के भी हृदय में राष्ट्रभक्ति की ज्वाला जगा दे।*


*संघ का एक प्रचारक किस प्रकार अविवाहित, अवैतनिक और अनिकेत रहते हुए संपूर्ण जीवन राष्ट्र के लिए जीता और मरता है, इसका जीवंत उदाहरण सुरेंद्र सिंह जी थे।*

*संघ के एक निष्ठावान प्रचारक के रूप में उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र और समाज के लिए समर्पित कर दिया ।प्रचारक जीवन के मान बिंदु यथा शुचिता, प्रमाणिकता , सादगी, मितव्यता, सुख-दुख निरपेक्ष वृत्ति, अजातशत्रु प्रवृति और भगवद् गीता में जिन्हें स्तिथप्रज्ञ कहा गया है ऐसे जीवन को जीते हुए उन्होंने केवल भारत माता की सेवा को ही अपने जीवन का लक्ष्य बनाया।* 


*कुशलगढ़ जैसे छोटे से गाँव से निकलकर उन्होंने अपनी निजी उन्नति, अपना व्यक्तिगत सुख-दुःख, मान अपमान का  त्याग कर अविवाहित रहते हुए, संपूर्ण हिंदू समाज को अपना परिवार माना था। वे सदैव राष्ट्र, धर्म और समाज की रक्षा के लिए समर्पित रहे। उनकी वाणी में ओज था, उनके विचारों में स्पष्टता थी, और उनके संकल्प अडिग थे।*


*सायं शाखा में उनके द्वारा सुनाए गए वीरता, साहस और पौरुष के प्रसंग आज भी स्मृतियों में जीवंत हैं। लव जिहाद, लैंड जिहाद और परावर्तन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर उनकी मुखरता प्रेरणादायक थी। उन्होंने हमें सिखाया कि राष्ट्रसेवा केवल शब्दों से नहीं, बल्कि संपूर्ण जीवन समर्पित करके की जाती है।*


*उनकी अनुपस्थिति से संघ और समाज को अपूरणीय क्षति हुई है। ईश्वर उनकी पुण्य आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और हमें उनके आदर्शों पर चलने की शक्ति प्रदान करें।*

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