सर्वशक्तिमान अन्‍तरराष्‍ट्रीय ज्‍योतिष सम्‍मेलन के कुण्‍डली, हस्‍तरेखा और कर्म विधान- संयुक्त ज्‍योतिष , देव नानी की अध्यक्षता में संपन्न

 सर्वशक्तिमान अन्‍तरराष्‍ट्रीय ज्‍योतिष सम्‍मेलन के कुण्‍डली, हस्‍तरेखा और कर्म विधान- संयुक्त ज्‍योतिष , देव नानी की अध्यक्षता में संपन्न


-- कैलाश चंद्र कौशिक

जयपुर।अभी 28,नवम्‍बर,2024 को राजस्‍थान विधान सभा अध्‍यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा  कि ज्‍योतिष विद्या भारत में ही उत्‍पन्‍न हुई और यहीं से सम्‍पूर्ण विश्‍व में इस विद्या का प्रचार-प्रसार हुआ है। यह विद्या अपने आप में शुद्ध गणित है। इसके अध्‍ययन के लिए अन्‍य देशों के लोग भारतीय विद्ववानों से सम्‍पर्क करते हैं। यह भारत के लिए गौरव की बात है। देवनानी ने ज्‍योतिषियों का आव्‍हान किया है कि वे भारतीय सनातन संस्‍कृति के वाहक बने।

उन्होंने यहां नारायण सिंह सर्किल स्थित इन्‍द्रलोक सभागार में सर्वशक्तिमान अन्‍तरराष्‍ट्रीय ज्‍योतिष सम्‍मेलन को सम्‍बोधित किया। और स्‍वस्‍ति वाचन के गुंजायमान के साथ दीप प्रज्‍जवलित कर सम्‍मेलन का शुभारम्‍भ‍ किया। सम्‍मेलन में अन्‍तरराष्‍ट्रीय स्‍तर के ज्‍योतिष विशेषज्ञ ने भाग लिया ।

देवनानी ने गृह नक्षत्रों की चाल से सटिक भविष्‍यवाणी करने वाले ज्‍योतिषों को वंदन करते हुए कहा कि भारत में विकसित हुई गृह नक्षत्रों की गणना पद्धति से ब्राहमाण्‍ड की रीति-नीति के साथ पंचांग की रचना विशेषज्ञों द्वारा की जाती है। भारत के शून्‍य के अविष्‍कारक आर्यभट्ट जैसे विद्वान के द्वारा 'आर्यभट्टीयम' के माध्‍यम से गणना सिखाई तो प्रख्‍यात खगोलविद वराहमिहिर ने अपनी कृति 'सिद्धान्‍तपंचिका' के माध्‍यम से कालगणना की विधि लोगों को सिखाई थी। उन्‍होंने कहा कि इनके अलावा ब्रह्मगुप्‍त की कृति 'ब्राह्मस्‍फु‍टसिद्धान्‍त', लल्‍ल का 'शिष्‍यधीवृद्धदि', श्रीपति का 'सिद्धान्‍तशेखर', भास्‍कराचार्य का 'सिद्धान्‍तशिरोमणि', गणेश का 'ग्रहलाघव' तथा कमलाकर भट्ट का 'सिद्धान्‍त-तत्‍व-विवेक' भारतीय ज्‍योतिष एवं गणित की असाधरण कृतियां हैं।

देवनानी कहा कि इस सम्‍मेलन में होने वाली चर्चाओं से वास्‍तु के वैज्ञानिक स्‍वरूप और योग के साथ जीवनशैली का भारतीय सनातन परम्‍परा के अनुसार लोगों को बताये। उन्‍होंने कहा कि गीता के कर्म के सिद्धान्‍त को लोगों को सदैव याद रखना होगा। उन्‍होंने कहा कि  ज्‍योतिषि कुण्‍डली, हस्‍तरेखा और कर्म की त्रिवेणी का संगम बने और अनुयाइयों को जीवन में कर्म की प्रधानता से सफलता का मार्ग समझायें। उन्होंने कहा कि छोटी काशी में हो रहे सम्‍मेलन के सार्थक परिणामों का लाभ सम्‍पूर्ण मानव जाति को मिले। इसके लिए सभी मिल जुल कर प्रयास करना होगा। समारोह में ज्योतिष के जाने माने विद्वान सतीश शर्मा,अजय भाम्बी,पुरुषोत्तम गौड़ और सुरेश मिश्रा अन्य मौजूद रहे ।

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