गोष्ठी में बही काव्य रस धार।
गोष्ठी में बही काव्य रस धार।
उदयपुर। भारतीय लोक कला मंडल एवं नगर की साहित्यिक संस्था नवकृति के सांझे में चंदौसी उत्तर प्रदेश से पधारे सुप्रसिद्ध शायर कवि रोशन निजामी के सम्मान में हुई कवि गोष्ठी में कवि शायरों ने वर्षा की फुहारों के साथ काव्य की रस वर्षा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय लोक कला मंडल के निदेशक डा लईक हुसैन ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ हेमेन्द्र चण्डालिया एवं दीपक नगायच रोशन ने काव्य पाठ किया। रामदयाल मेहरा द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से शुरू हुई गोष्ठी के प्रारंभ में नवकृति के संस्थापक इकबाल हुसैन इकबाल ने अतिथि कवियों का स्वागत किया। संचालन जगवीर सिंह कानावत ने किया।
कवि गोष्ठी में कैलाश सोनी ने - बात क्या करें जमाने की। सबको आदत है रूठ जाने की। डा प्रमिला सिंघवी ने पर्दा एवं टुकड़े चांद रचनाएं सुनाई। शंभू कलासुआ ने - हौसला ही मार दे तो , क्या करेंगे रास्ते तो। कविश टंडन ने - अब भी रातों को जागता हूं,अब भी सपनों को बांचता हूं। सुना कर दाद पायी।
इसी क्रम में असद खान ने --जिन्दगी इस तरह बिताते हैं,जी भी लेते है मर भी जाते हैं। अतिथि कवि शायर रोशन निजामी ने देश प्रेम के साथ समाज, मनुष्य के विभिन्न पहलुओं पर रचनाएं प्रस्तुत की। आपने प्रथम रचना में कहा-- उसने किया सवाल अलग किस की शान है। मैंने दिया जवाब वो हिंदुस्तान है। साथ ही - लाख है फिर भी खुदा से आस रखनी चाहिए। एक समंदर को भी थोड़ी प्यास रखनी चाहिए। सुना कर वाहवाही लूटी।
इसके साथ ही अमित व्यास,रियाज अहमद कंधारी, संजय व्यास, इस्हाक़ फुर्कत कमलेश रावत, युवराज सिंह,गौरव सिंह, राजेन्द्र सिंह, डा हुसैनी बोहरा, मानस मूलचंदानी गोविंद ओढ़ आदि ने रचनाएं प्रस्तुत की।
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