मुनिश्री का पाद प्रक्षालन व शास्त्र भेंट सहित हुए विविध धार्मिक अनुष्ठान
- मुनिश्री का पाद प्रक्षालन व शास्त्र भेंट सहित हुए विविध धार्मिक अनुष्ठान
उदयपुर, 6 अगस्त। गोवर्धन विलास हिरण मगरी सेक्टर 14 स्थित गमेर बाग धाम में श्री दिगम्बर जैन दशा नागदा समाज चेरिटेबल ट्रस्ट एवं सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में गणधराचार्य कुंथुसागर गुरुदेव के शिष्य बालयोगी मुनि श्रुतधरनंदी महाराज, मुनि उत्कर्ष कीर्ति महाराज, क्षुलक सुप्रभात सागर महाराज के सान्निध्य में प्रतिदिन वर्षावास के प्रवचन एवं विविध आध्यात्मिक व धार्मिक क्रियाएं सम्पन्न हो रही है।
चातुर्मास समिति के महावीर देवड़ा व पुष्कर भदावत ने बताया कि बुधवार 7 अगस्त को सुबह 8 बजे बालयोगी मुनि श्रुतधरनंदी महाराज के सान्निध्य में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जोगी तालाब पर अमृत पर्यावरण महोत्सव 2024 के तहत वृक्षारोपण का आयोजन किया जाएगा।
सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत व महामंत्री सुरेश पद्मावत ने संयुक्त रूप बताया कि मंगलवार को मुनिश्री का पाद प्रक्षालन,दीप प्रज्जवलन व शास्त्र भेंट भंवरलाल मुण्डलिया, गेहरीलाल देवड़ा ने किया। धर्मसभा के पूर्व शंतिधारा, अभिषेक, शास्त्र भेंट, चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्वलन जैसे मांगलिक आयोजन हुए। मंगलाचरण नारायण लाल जैन द्वारा किया गया। शाम को सभी श्रावक-श्राविकाओं ने मुनि संघ की आरती की। बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज के सान्निध्य में गमेर बाग धाम में श्रावक श्राविकाओं ने संगीतमयी भक्तिभाव के साथ भक्ति नृत्य किये और शारीरिक रोग, मन शोक, पीड़ा, गृह क्लेश निवारण, नवग्रह गृह सुख शांति समृद्धि धन, व्यापार लाभदायक ऋषि मुनियों की आराधना की।
चातुर्मास समिति के भंवरलाल गदावत ने बताया कि मंगलवार को इस अवसर आयोजित धर्मसभा में बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज ने अपने प्रवचन में कहां कि जो बार-बार गलती करता है उसे शैतान कहते है जो एक बार गलती करता है उसे इंसान कहते है। जो बिल्कुल भी गलती नहीं करता है उसे भगवान करते है। साधु का कोई चाय-नाश्ता नहीं होता केवल मात्र प्रभु से वास्ता होता है। जो जिनेन्द्र देव की आज्ञा का पालन करे वह जैन कहलाने की पात्रता रखते है। दिन में शादी, दिन में भोजन की परम्परा में चलना चाहिए। जो संत के पास जाता है इंसान बन आओगे। जो संत के साथ चला जाता है वह संत बन जाता है। जिस दिन समाज की अच्छी दिशा हो जाएगी उस दिन समाज की अच्छी दशा हो जाएगी। क्रोध में लिया गया निर्णय पश्चाताप पर खत्म होता है। समाज में जिस तरह से विकृति फैल रही है। उसे नकारा नही जा सकता है। समाज में बढ़ती वैमनस्यता हिंसात्मक प्रवृतियों को बढ़ावा दे रही है। क्रोध के वशीभूत व्यक्ति गलत निर्णय लेने के लिए मजबूर हो जाता है शास्त्रों में विकार से दूर रहने के लिए कहा गया है। पढ़ा लिखा सभ्य व्यक्ति असंगत की परिधि में कैद होकर अनुचित कर बैठता है तब उसकी अज्ञानता पर तरस आता है। विकृत मानसिकता दूसरे का नुकसान करती ही है। परंतु स्वयं भी ग्लानि रूपी आग से बच नहीं सकता है। आज समाज मे बढ़ती महत्वकांक्षा और आर्थिक सामंजस्य से व्यक्ति व्यक्ति होड़ लगाकर अपना समय ही नही जीवन भी बर्बाद करता प्रतित हो रहा है। जर जमीन और जोरू इस कहावत आज के परिपेक्ष्य में सफल होती दिखाई दे रही है। आवेश में आकर इंसान इतना हैवान बन जाता है कि अपने माता पिता और सहोदर की हत्या करने में हिचकिचाहट महसूस नही करता है। यह समाज की वास्तविकता है। समाज मे बढ़ते मनमुटाव और जमीन के झगड़ो में दिल की दूरियां बना ली है। फिर उस तरफ मुडकर नहीं देखते है। समाज में बढ़ती विकृतियों से सभ्य समाज क्षुब्ध है।
कार्यक्रम का संचालन पुष्कर जैन भदावत ने किया। इस इस दौरान सकल जैन समाज के सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।
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