आयड़ जैन तीर्थ में अनवरत बह रही धर्म ज्ञान की गंगा - प्रतिदिन जैन महाभारत पर आधारित प्रवचन का हो रहा व्याख्यान



 - आयड़ जैन तीर्थ में अनवरत बह रही धर्म ज्ञान की गंगा

- प्रतिदिन जैन महाभारत पर आधारित प्रवचन का हो रहा व्याख्यान

उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा का चातुर्मास की धूम जारी है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि मंगलवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। वहीं सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन महाभारत ग्रंथ की पूजा-अर्चना की।  

महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने जैन महाभारत पर आधारित प्रवचन में बताया कि साधु और श्रावक शासन के महत्त्वपूर्ण अंग है। जिस दिन साधु और जावक नहीं रहेंगे, उस दिन शासन भी नहीं रहेगा। परमात्मा का शासन साधु और श्रावक दोनों से ही चलता है। और चलेगा। भगवान महावीर को केवलज्ञान प्राप्त हुआ तब देवताओं द्वारा समवसरण की रचना की गई परमात्मा ने देशना प्रारंभ भी की परन्तु शासन की स्थापना नहीं की- क्यों ? क्योंकि वहां ऐसा कोई जीन उपस्थित नहीं था जिसके अंदर धर्म के परिणाम जागृत हो सके। आज बहुत से लोग कहते है कि रराधर्मिक धनवान होंगे तो शासन चलेगा "परन्तु ज्ञानी कहते है कि "साधर्मिक धर्मी होंगे तो शासन चलेगा। एक बात हमें पष्ठस्री समझ लेनी है कि धर्म के बिना शासन नहीं चल सकता।

चातुर्मास संयोजक अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि 3 अगस्त शनिवार के दिन तपागच्छाधिपति आचार्य रामचन्द्र सुरी महाराज की 33वीं पुण्यतिथि निमित गुणानुवाद सभा एवं स्वामीवात्सलय का आयोजन होगा। चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन सुबह 9.30 बजे आचार्य हितवर्धन सुरश्वर द्वारा जैन महाभारत पर रोचक प्रवचन हो रहे है। वहीं प्रत्येक रविवार को सुबह 9.30 से 11 बजे तक अलग-अलग समसामायिक विषयों पर आचार्य के प्रवचन हो रहे है।

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